आदिवासी समाज को समाज के बारे में चिंतन मंथन करने का जरूरत- आदिवासी छात्र संघ झारखंड

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विश्व आदिवासी दिवस की शुभ अवसर पूरे देश में आदिवासी समाज हरसोला के साथ आदिवासी दिवस 9 अगस्त के दिन मना रहे हैं इसके साथ ही हमारे आदिवासी समाज को समाज के बारे में चिंतन मंथन करने का जरूरत है हमारे लिए जितने भी संवैधानिक अधिकार हैं हम पर कितना लागू हो पा रहा है और हम कितने चले जा रहे हैं इस पर पूरे समाज को चिंतन मंथन करने की जरूरत है साथ ही साथ विश्व आदिवासी दिवस की शुभ अवसर पर खुशी भी मनाए लेकिन सरकार के द्वारा हम आदिवासियों को कितना चला जा रहा है उसके बारे में पूरे समाज को एकजुट होकर सोने का जरूरत है जमाने से आदिवासियों के साथ हमेशा धोखा ही हुआ है झारखंड बहुत लंबा संघर्ष के बाद कितना कुर्बानियों के बाद हमें झारखंड मिला आज झारखंड 24 साल हो गए जी समय झारखंड अलग किया जा रहा था उसे समय तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी बोल बोल दिए है आदिवासियों का बहुत लंबे मांग रही है जिसको हम आदिवासियों के लिए दे रहे हैं और और 2000 और 15 नवंबर18 जिले का हमको झारखंड मिला जिसमें करीब 13 जिला आदिवासी बहुल रहा जिससे विशेष आदिवासी राज्य मिलने की संभावना थी लेकिन हम झारखंड के आदिवासी यहां भी चले गए और धीरे-धीरे 24 जिला बनाया गया इससे विशेष आदिवासी राज होने से वंचित हो गए और जहां भी विकास की बात हुई झारखंड के आदिवासियों की विनाश हुई है उदाहरण स्वरूप एचएससी बना 9000 एकड़ आदिवासियों की जमीन चली गई जहां से आदिवासी विस्थापित हुए अभी तक उनका पता नहीं चला इस प्रकार जमशेदपुर टाटा बोकारो रामगढ़ में जिंदल खलारी आने को इस तरह के झारखंड में उदाहरण मिलेंगे जहां से हमारे आदिवासी ही विस्थापित हुए हैं और 2012-13 में 2037 का मास्टर प्लान तैयार किया गया है जिसमें 180 गांव को नगर निगम में मिलाया जाएगा यहां से आदिवासी फिर से विस्थापित होंगे जिसके अंदर 700 कॉलोनी और बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल एवं एवं स्विमिंग पूल बनने जा रहा है और वह हमारे आदिवासियों के लिए नहीं जिनको बाहर से बसाया जाएगा उनके लिए बनाया जा रहा है जिससे हम आदिवासी कहां चले जाएंगे इनका पता सरकार को भी नहीं है इसी तरह से हमेशा आदिवासी चला ही जाएगा इसीलिए मैं सभी आदिवासी भाई बहनों से सामाजिक का गावरान से निवेदन करता हूं विश्व आदिवासी दिवस मनाते हुए अपना सामाजिक अधिकार के लिए भी चिंतन और मंथन करें नहीं तो धीरे-धीरे आदिवासी समाप्ति की ओर जा रहे हैं आने वाला 2025 में फिर से परिसीमन होने को है जिसमें लगभग चार एमएलए सीट 1 एमपी सीट घटना जा रही है इसी के साथ नौकरियों में भी हमारा प्रतिशत घट जाएगा इसलिए हम सभी देश के आदिवासियों से अपील करते हैं खुशियों से ज्यादा संवैधानिक अधिकार और सामाजिक अधिकार पर जोर दें धन्यवाद सुशील उरांव केंद्रीय अध्यक्ष आदिवासी छात्र संघ झारखंड।

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