कामरेड सीताराम येचुरी नहीं रहे – सीपीएम

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सीपीएम का राज्य सचिवमंडल पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव का.सीताराम येचुरी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है. आज अपराह्न 3 बजकर 3 मिनट पर  दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका निधन हो गया. वे 72 वर्ष के थे.
उनके निधन का समाचार मिलते ही उनके सम्मान में झारखंड में सीपीएम के सभी पार्टी कार्यालयों में अगले एक सप्ताह तक पार्टी का झंडा झुका रहेगा.
सीताराम येचुरी छात्र जीवन से ही कम्युनिस्ट विचारधारा से जूड़ गए थे।


वे एक मेघावी छात्र थे जिन्होंने अखिल भारतीय बोर्ड की परीक्षा में पुरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. बहुत ही कम उम्र में वे पार्टी की केन्द्रीय कमिटी और बाद में पोलिट ब्यूरो के सदस्य चुने गए. वे राज्यसभा के भी सदस्य रहे थे
झारखंड से उनका गहरा संबंध था.
झारखंड के गठन से पूर्व 10 नवंबर 2000 को उनके देख-रेख में ही पार्टी की झारखंड राज्य कमिटी का गठन किया गया था.
झारखंड बनने के कुछ ही दिन पहले तत्कालीन रातू प्रखंड के दलादिली गांव में जमींदारों ने तीन आदिवासी किसानों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. प्रतिरोध में जमींदार भी मारा गया था. जिसमें कई आदिवासी रैयतों को आजीवन कारावास की सजा भी हुई. इस संघर्ष के बाद सीताराम येचुरी कई बार दलादिली गांव आए और वहां आयोजित विरोध सभा को  संबोधित किया.उस समय ही उन्होंने कहा था की  यहां आदिवासियों और गरीबों की जमीन की लूट का मुद्दा ही नवगठित राज्य झारखंड में वामपक्ष के संघर्ष का मुख्य एजेंडा बनेगा.
वे झारखंड बनने के बाद पोलिट ब्यूरो की ओर से कई वषों तक झारखंड के प्रभारी भी रहे. वे झारखंड में वाम राजनीतिक आंदोलन को प्रखर किए जाने के लिए यहां के आदिवासियों के अधिकारों और यहां के औधोगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिज कोयला उधोग को मुख्य आधार बनाने पर जोर देते थे. उनका मानना था कि कोयला खनन से उत्पन्न विस्थापन और प्रदूषण के मुद्दे को केंद्र में लाने के साथ – साथ आदिवासियों को संविधान द्वारा दिए गए विशेष अधिकारों की रक्षा के संघर्ष को धारदार बनाने की जरूरत है. उन्हीं की पहल पर झारखंड में पहली बार आदिवासियों का एक अखिल भारतीय सम्मेलन कर आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की स्थापना की गई.
का. सीताराम येचुरी का अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन से भी गहरा संबंध था. वे जब पोलिट ब्यूरो सदस्य थे उस वक्त उन्होंने पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय विभाग के प्रभारी की जिम्मेवारी भी उठाई थी.
उनके निधन से देश के कम्युनिस्ट एवं वाम आंदोलन को भारी क्षति हुई है. केंद्र की एकाधिकारवादी सरकार और नफरत फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ वे हमेशा मुखर रहे.
राष्ट्रीय स्तर  पर आइएनडीआइए गठबन्धन बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी. वे पार्टी के वैचारिक श्रोत भी थे. उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं. संसद में जब सीताराम बोलते थे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों उनकी बात ध्यान से सुना करते थे.
उनके निधन पर झारखंड मे पार्टी की सभी इकाइयों द्वारा शोक सभा, उनकी याद में जूलूस इत्यादि का कार्यक्रम कल से शुरू हो जाएगा.
15 सितंबर को रांची में उनकी स्मृति में एक विशाल हाल मिटिंग की जाएगी.
उनकी अंतिम इच्छा  और उनके परिवार की रजामंदी से 14 सितंबर उनका देह एम्स के मेडिकल छात्रों के रिसर्च हेतु दान कर दिया जाएगा.
इसके पहले उनका पार्थिव शरीर पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में रखा जाएगा. उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए झारखंड से पार्टी के केंद्रीय कमिटी सदस्य प्रकाश विप्लव समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता दिल्ली रवाना हो रहे हैं।

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