30 को हजारों  आंदोलनकारी  मुख्यमंत्री आवास  के समक्ष धरना- प्रदर्शन करेंगे – पुष्कर महतो

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झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा  के संस्थापक एवं प्रधान सचिव पुष्कर महत्व  ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के मान- सम्मान, अलग झारखंडी पहचान , बेटा बेटियों के लिए रोजी- रोजगार, नियोजन के अधिकार की गारंटी 100 प्रतिशत देने एवं  जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रुपया देने,अलग राज्य के मूल्यों एवं संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के सवाल को लेकर 30 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष  सुबह,8 बजे से ही धरना- प्रदर्शन -घेराव शांतिपूर्ण तरीके किया जाएगा। राज्य भर के हजारों की संख्या में झारखंड आंदोलनकारी अपने अस्तित्व एवं अस्मिता को बचाने के लिए मुख्यमंत्री आवास के समक्ष घेराव धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में भाग लेंगे।  श्री  महतो आज  अपनी मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री मुख्य सचिव एवं गृह सचिव को मांग पत्र सौपने के बाद उक्त बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि अलग राज्य का गठन भ्रष्टाचार से मुक्ति ,अनियमिता से मुक्ति, शोषण ,दमन  अन्याय, अत्याचार से मुक्ति  व विकास तथा जन कल्याण के लिए हुआ है। राज्य बनने के 23 वर्षों के पश्चात भी झारखंड आंदोलनकारियों को राजकीय मान -सम्मान ,अलग झारखंडी पहचान , बेटा बेटियों  के लिए रोजी -रोजगार ,नियोजन के अधिकारों  की 100% गारंटी एवं सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रुपया नहीं दिए जाने से उनकी सामाजिक , आर्थिक ,शारीरिक,  सांस्कृतिक,स्थितियां नाजुक है।  वर्ष 2020 अक्टूबर माह से  2024 अबतक झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा द्वारा आंदोलन के माध्यम से तथा पत्र प्रेषित कर अपनी मांगों से अवगत कराते रहे हैं। इसके बावजूद आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति सरकार के द्वारा समुचित कदम नहीं उठाए गए हैं।  पुनः एक आंदोलन के लिए आंदोलनकारी बाध्य हुए हैं ।  अपने मांगों के समर्थन में 30 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष  सुबह,8 बजे से ही धरना- प्रदर्शन -घेराव  शांतिपूर्ण करेंगे।
    उन्होंने कहा कि हमारे बीच अलग झारखंडी पहचान, भाषा- संस्कृति, अस्मिता एवं अस्तित्व के संकट खड़े हुए हैं। हमारे डेमोग्राफी बिगडते/ पर्यावरण प्रदूषण जा रहे हैं। झारखंडियों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक अलग पहचान तथा झारखंड अलग राज्य एवं संवैधानिक अधिकारों के मूल्यों की रक्षा  होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारियों को 15 अगस्त ,15 नवंबर एवं 26 जनवरी को राजकीय मान- सम्मान से सम्मानित करना सुनिश्चित किया जाए.
  हम आदिवासियों , किसानों को ऑनलाइन रसीद काटने की दिशा में प्राथमिकता के साथ मैन्युअल ऑफलाइन लगान रसीद सुलभ सुविधा कराये जाएं। प्रत्येक किसान को 10 -10 हजार रु. प्रत्येक माह पेंशन दिया जाए।  किसानों को खेत- खेत तक पानी व सिंचाई कोल्ड स्टोरेज व बाजार की सुविधा सुलभ कराया जाए। उन्होंने मांग की  कि राज्य में समता जजमेंट के तहत 26 परसेंट रॉयल्टी का अधिकार प्रत्येक झारखंडी जनता व आदिवासियों को दिया जाए।   राज्य में सीएनटी /एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूचित क्षेत्र, पेसा कानून, धारा 39(b ) का अनुपालन हो , धारा 3 ( ए) का पालन हो, हमारी परंपरा, व्यवस्था ,माय- माटी के संवैधानिक मूल्यों का सख्ती के साथ रक्षा हो।  भू-अर्जन अधिनियम का सख्ती से पालन करते हुए डेढ़ से 2 करोड़ विस्थापित – पलायन हुए झारखंडी जनमानस को मुआवजा ,पुनर्वास, रोजी- रोजगार एवं नियोजन की गारंटी दी जाए। विशेष कर  मसानजोर डैम,
बोकारो स्टील सिटी प्लांट , एचइसी, टाटा, सीसीएल, रेलवे स्टेशन- क्वार्टरों, बीसीसीएल , इसीएल,  डीवीसी, चांडिल डैम, पीटीपीएस, मैथन डैम ,मंडल डैम, मैथन,सहित विभिन्न योजनाओं- परियोजनाओं एवं खनिज उत्खनन क्षेत्र से हुए विस्थापित- पलायन एवं अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के आश्रितों व परिवारों, किसानो को मुआवजा, पुनर्वास एवं रोजी- रोजगार एवं नियोजन की गारंटी 100% की जाए। सरकार  फौरन विस्थापन आयोग का गठन करें। 18 जनवरी 2013 सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवमानना करते हुए स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र की प्रतिमा स्थापित किए गए हैं। तुरंत हटाया जाए और संवैधानिक मर्यादा को स्थापित किया जाए। हाई कोर्ट एवं सरकार इसे संज्ञान में ले।
फोन हमने मांग की कि स्थानीय लोगों को आजीविका के संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप रोजी रोजगार एवं नियोजन का पूर्ण अधिकार दिया जाए।  बाहरी वेंडेरों को  रोका जाए। इसमें  झारखंड आंदोलनकारियों को प्राथमिकता दिया जाए। सामाजिक सुरक्षा पेंशन यथा विधवा पेंशन  विधवा पेंशन व विकलांग पेंशन समय पर लोगों को 3-3 हजार रु दिया जाए। रसोईया संयोजिका व सहायिकाओं को न्यूनतम मजदूरी के तुल्य  मानदेय का भुगतान मिले।
   उन्होंने कहा कि टोल टैक्स उपनिवेशवाद का प्रतीक है इसे शीघ्र बंद कराया जाए। झारखंड में यह व्यवस्था ब्रिटिश हुकूमत से भी खतरनाक व्यवस्था है।

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