प्रकृति पूजक आदिवासियों को अलग धर्म कॉलम (सरना कोड) देने की मांग को लेकर 28 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरने का आह्वान किया गया है. भारतीय राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक देवकुमार धान ने लगातार कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासियों को संवैधानिक मौलिक अधिकार नहीं मिला है. कहा कि हम अपनी धार्मिक आजादी की आवाज को आगे बढ़ाएंगे।

आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और भागीदारी के लिए अलग धर्म कॉलम जरूरी :-
देवकुमार धान ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और भागीदारी के लिए अलग धर्म कॉलम का होना जरूरी है. आज आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम नहीं होने के कारण आदिवासी समुदाय के लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई बन रहे हैं। इससे आदिवासियों की आबादी कम हो रही है. इसे रोकने के लिए आदिवासियों को अलग धर्म का कॉलम देना होगा. केंद्र सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है. कहा कि आदिवासियों की धार्मिक आजादी का आंदोलन राष्ट्रीय आंदोलन बनकर उभरा है. श्री धान ने कहा कि आदिवासी समाज के युवा छात्र, बुद्धिजीवी और कामकाजी पेशेवर आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित कर आदिवासियों की भाषा, जाति, धर्म और संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनने का प्रयास करेंगे.