होटल अशोका के कर्मचारियों को क्यों किया जा रहा है प्रताड़ित।

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आज होटल रांची अशोक के कर्मचारियों की बैठक कडरू में संपन्न हुई जिसमें भारत पर्यटन विकास निगम पर गंभीर आरोप लगाए गये। कर्मचारियों की तरफ से कहा गया कि यह होटल देश की पहली सरकारी इकाई होगी जिसमें कर्मचारी सेवानिवृत हो गए लेकिन उनका सर्विस बुक नहीं बना। हम कर्मचारियों को पता ही नहीं है कि हम किस नियम व क़ानून से संचालित हो रहे हैं। हमें पता ही नहीं है कि हमें अब क्या मिलेगा..कब पदोन्नति होगी..कब डीए लगेगा..कब इन्क्रीमेंट लगेगा ?



बैठक में खाद्य एवं पेय सेवा विभाग के वरिष्ठ कर्मचारी पंकज कुमार ने कहा कि हमारा सर्विस बुक नहीं होना ही प्रमाण है कि हमें कितना प्रताड़ित किया गया। भारत पर्यटन विकास निगम के पदाधिकारीगण खुद सबकुछ लेते थे..हर सरकारी फायदा उठाते थे लेकिन हम कर्मचारियों के लिए होटल घाटे में था ? आज भारत पर्यटन विकास निगम, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम व झारखंड सरकार हर जगह कर्मचारियों को छठे या सातवें वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है लेकिन हम होटल रांची अशोक के कर्मचारियों को पांचवें वेतनमान के अनुरूप वेतन दिया जा रहा है इसलिए हमें तीन फरवरी तक हमारा सर्विस बुक उपलब्ध कराया जाए अन्यथा हमलोग अपने शोषण के खिलाफ आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। हमारे ही मेहनत की कमाई से भारत पर्यटन विकास निगम के पदाधिकारीगण उस वक़्त छठे वेतनमान का लाभ लेते थे और हमें आज तक पांचवें वेतनमान के अनुरूप वेतन देना क्या अन्याय नहीं है.. क्या हमारा शोषण नहीं है?

लेखा विभाग के वरिष्ठ कर्मचारी दीपक कुमार सहाय ने कहा कि हमें बताया जाए कि भारत पर्यटन विकास निगम, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम व झारखंड पर्यटन विकास निगम के किस होटल में घाटे या शुद्ध लाभ नहीं होने के कारण वहां के कर्मचारियों को छठे व सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया? हमें बताया जाए कि होटल रांची अशोक के कर्मचारियों के वेतन का निर्धारण किस आधार पर किया गया था?



स्टोर इंचार्ज ओमप्रकाश ने कहा कि भारत पर्यटन विकास निगम जमींदारी प्रथा पुन: चालू करना चाहती है। उन्हें रबड़ी चाहिए लेकिन बाकी लोग सूखी रोटी में गुजारा करें। हमारा भारत पर्यटन विकास निगम के पदाधिकारीगण और बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक जो हमारे भी प्रबंध निदेशक थे.. उनसे सवाल पूछना है जब भारत पर्यटन विकास निगम के पदाधिकारीगण को मोटी राशि देकर होटल को घाटे में ही चलाना था तो हम कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी देकर क्यूँ नहीं देखा गया ? नये-नये लड़के जो होटल मैनेजमेंट पास करते थे उन्हें यहां महाप्रबंधक बना कर भेज दिया जाता था क्योंकि होटल चलाने की आईटीडीसी की मंशा ही नहीं थी ।

सुरेन्द्रलाल शर्मा ने कहा कि भारत पर्यटन विकास निगम के पदाधिकारी शाही प्रवृति के हैं वे यहां जिम्मेदारी लेने के लिए नहीं वल्कि मनोरंजन के लिए आते थे।

बिरेन्द्र प्रसाद ठाकुर और जीतू सिंह ने झारखंड के सम्मानीय मुख्यमंत्री महोदय से न्याय दिलाने की अपील किए और कहा कि आप भी हमारा साथ नहीं देंगे तो हमारी मौत निश्चित है।

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