आज होटल रांची अशोक के मुख्य द्वार पर उसके कर्मचारियों के द्वारा अर्धनग्न प्रदर्शन किया गया। कर्मचारियों का कहना था कि हम पिछले लगभग सात बर्षों से प्रताड़ित हो रहे हैं। आखिर हमारी साढे साती कब खत्म होगी? शनिदेव महाराज भी साढे साती के आख़िरी ढैय्या में शुभ फल देने लगते हैं लेकिन भारत पर्यटन विकास निगम, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम व झारखंड सरकार सात बर्षों तक हमें प्रताड़ित करने के बावजूद हमारी नहीं सुन रही है।

वरिष्ठ कर्मचारी पंकज कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार सच में हमारे लिए चिंतित है या वो सच में हमारी शुभचिंतक है तो वो रांची अशोक बिहार होटल कोरपोरेशन को कहे कि होटल तो हम ही ले रहे हैं इसलिए आप बचे छह कर्मचारियों को सातवां वेतनमान लगा कर वेतन दें और उनके सेवानिवृत होने की उम्र 60 साल कर दें जो भी अतिरिक्त वित्तीय बोझ होगा वो हम ही देंगे लेकिन वो ऐसा नहीं करेगी क्यूंकि झारखंड सरकार भारत पर्यटन विकास निगम व बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम को 5 के बदले 10 करोड़ खुशी-खुशी दे देगी लेकिन हम कर्मचारियों के हित के लिए कुछ भी नहीं दे सकती ! इसलिए हमारी मांग है कि हमें तुरंत झारखंड सरकार में समायोजित किया जाए।
सुरेन्द्रलाल शर्मा ने कहा कि जब भारत पर्यटन विकास निगम, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम व झारखंड सरकार तीनों जगह छठे/सातवें वेतनमान के अनुरूप वेतन दिया जा रहा है तो हमें पांचवें वेतनमान के अनुरूप वेतन क्यूँ दिया जा रहा है?

दीपक कुमार सहाय ने कहा कि हमें लिखित रूप में बताया जाए कि हमारे वेतन का निर्धारण किस आधार पर किया गया था? 1988 से 2018 तक हमें बिहार सरकार के डीए की घोषणा के पश्चात ही डीए मिलता था यानि होटल रांची अशोक, बिहार सरकार के क़ानून के तहत संचालित हो रहा था तो फिर हमें 58 बर्षों में रिटायर कैसे किया जा रहा है जबकि बिहार सरकार में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है?
आंदोलन में सेवानिवृत कर्मचारी भी अपना वेतन गलत बनाए जाने के विरोध में शामिल हुए। उनका कहना था कि एक तो हमें पाचवें वेतनमान के अनुरूप वेतन और दूसरा उसमें सात- आठ लाख का घोटाला.. आखिर हम कैसे बर्दास्त करें। आंदोलन में शामिल मनोज कुमार गुप्ता और राम प्रसाद राम ने इसे शातिराना खेल करार दिया और कहा कि हमें हमारा सेलरी स्लिप दे दीजिए वर्ना आंदोलन होता रहेगा ।