राज्य के आठ हजार स्कूल में एक शिक्षक के भरोसे चल रही पढ़ाई।

Spread the love

झारखंड में आठ हजार स्कूल (अधिकतर प्राथमिक विद्यालय) ऐसे हैं, जहां एक-एक शिक्षक हैं. यह राज्य के कुल सरकारी प्राथमिक स्कूलों का एक तिहाई है. यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. राज्य में वर्ष 2016 से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. नरेगा सहायता केंद्र ने मनिका प्रखंड के विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति का सर्वे किया है. नरेगा सहायता केंद्र द्वारा सर्वे के आधार पर रिपोर्ट जारी की गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मनिका में कुल 55 एकल शिक्षक वाले विद्यालय हैं. इनमें अधिकतर प्राथमिक स्कूल हैं. इनमें से 40 विद्यालय को सर्वे में शामिल किया. इन एकल शिक्षक वाले स्कूलों में औसतन 59 विद्यार्थी नामांकित हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या 100 से अधिक है, बिचलीदाग गांव के एक स्कूल में तो 144 बच्चे हैं. इन स्कूलों में नामांकित 84 फीसदी बच्चे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कोटि के हैं विद्यालयों में।

लातेहार के मनिका प्रखंड में 55 स्कूलों में एक- एक शिक्षक।

कार्यरत अधिकतर शिक्षक अनुबंध पर हैं, सर्वे वाले दिन केवल एक-तिहाई बच्चे ही स्कूल में उपस्थित थे. शिक्षक अक्सर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे रहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के दौरान इनमें से 87.5 फीसदी स्कूलों में पढ़ाई नहीं चल रही थी. इनमें से मात्र 17.5 फीसदी स्कूलों में शौचालय उपयोग के लायक पाया गया. विद्यालयों में बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा भी प्रावधान के अनुरूप नहीं दिया जा रहा था. सर्वे इस वर्ष के प्रारंभ में किया गया था।

वंचित समुदाय के बच्चों को हो रहा अधिक नुकसान : रिपोर्ट में कहा गया है कि एकल शिक्षक वाले स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा पूरी तरह से चरमरा गयी है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान वंचित समुदायों के बच्चों को हो रहा है. हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तुरंत शिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश दिया है।

Leave a Reply