सरला बिरला पब्लिक स्कूल में प्रतिध्वनि -2025 का उत्साहपूर्ण हुआ शुभारंभ।

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सरला बिरला पब्लिक स्कूल राँची में 3 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय अंतर-विद्यालय  कला संगोष्ठी, प्रतिध्वनि-2025 के तीसरे संस्करण का शानदार उद्घाटन हुआ। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम ज्ञान संसाधन क्यूरेटर श्री मुखर्जी पी. की देखरेख में आदिवासी जननायक एवं क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष को समर्पित था। उद्घाटन समारोह में देशभर के 30 से अधिक विद्यालयों के प्रतिभागी छात्रों की सहभागिता रही।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक, महानिदेशक, सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची रहे, जिन्होंने समारोह की गरिमा को बढ़ाया। इस अवसर पर शिक्षा जगत की प्रतिष्ठित हस्तियाँ भी उपस्थित रहीं, जिनमें श्री राजेश पिल्लई (प्राचार्य, कैरली स्कूल), श्रीमती प्रेमलता (प्राचार्या, कैम्ब्रियन पब्लिक स्कूल), डॉ. सुभाष कुमार (प्राचार्य, सेंट माइकल्स स्कूल) तथा श्रीमती शालिनी विजय, प्राचार्या, गुरु गोबिंद सिंह पब्लिक स्कूल, रांची सम्मिलित थीं। इस अवसर पर श्री अभिनव चटर्जी, श्री देवांशु सेनगुप्ता, श्री विश्वजीत दास और श्री पार्थ बनर्जी निर्णायक के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत एक सुमधुर स्वागत गीत से हुई, जिसने वातावरण को उल्लासपूर्ण बना दिया। आज के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था  ‘उलगुलान आंदोलन’ पर आधारित एक विशेष नृत्य-नाटिका। इस प्रस्तुति ने ‘धरती आबा‘ बिरसा मुंडा के योगदान की स्मृति को पुनर्जीवित किया और यह दर्शाया कि समाज की प्रगति में विद्यार्थियों के बीच सहयोग और समन्वय कितना महत्वपूर्ण है।


पहले दिन टॉर्क-इन्टीग्रेटेड डान्स डायलाॅग, प्ल्यूरिलॉग्स- मल्टी फाॅर्मेट इंग्लिस डिबेट और फ्रेम्स – रील्स मेकिंग जैसी कई प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता और फिल्म निर्माण कौशल का प्रदर्शन किया। आज के कार्यक्रम का समापन विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ।


मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक ने कहा कि जब छात्रों को ऐसे मंच मिलते हैं तो उनकी रचनात्मकता को संबल मिलता है और यह उनके आत्मविश्वास और दक्षता में वृद्धि करता है।


विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती परमजीत कौर ने छात्रों को ऐसे मंचों के माध्यम से ज्ञान और कौशल की सीमाओं को विस्तृत करने के लिए प्रेरित किया और प्रतिभागी टीमों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि छात्र कच्चे हीरे हैं और जब उन्हें ऐसा मंच मिलता है तो उनकी चमक और भी निखर जाती है।

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