जनजाति सुरक्षा मंच का एक प्रतिनिधि मंडल महामहिम राज्यपाल, झारखण्ड से मिलकर झारखण्ड राज्य में अतिशीघ्र पेसा कानून लागु करने की मांग की गई।
विदित हो कि भारत सरकार ने 1996 में पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में जनजाति आबादी को देखते हुए पेसा कानून अधिनियम का गठन हुआ जिसके अन्तर्गत वर्तमान स्थिति में कुछ राज्यों में यह कानून लागु हो गया है जिसमें झारखण्ड राज्य भी शामिल है लेकिन दुर्भाग्यवश झारखण्ड राज्य में किसी तरह लागु नही किया गया है जो हमारी संस्कृति, रूढ़िवादी परम्परा का खुला उल्लंघन कुछ सरकार में बैठे प्रशासनिक पदाधिकारियों के द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। इस पेसा कानून के अन्तर्गत महामहिम को संविधान द्वारा प्रदत शक्तियों का सही उपयोग करते हुए जनजाति समाज को न्याय दिलाने का कार्य करेंगे ऐसी अपेक्षा है।

1. झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियमावली, 2022 भारत सरकार के पेसा अधिनियम 1996 के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत बनायी गयी है एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रावधानों को लागु करने हेतु ही बनायी गयी है।
2. झारखंड पंचायती राज अधिनियम (JPRA) 2001 की धारा 131 अंतर्गत इस नियमावली को बनाने की शक्तियों दी गयी है। JPRA, 2001 अनुसूचित एवं गैर-अनुसूचित दोनों क्षेत्रों में भिन्न प्रावधानों के साथ लागु है।
3. उक्त नियमावली के अधीन ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधनों के सुरक्षा एवं प्रबंधन के साथ-साथ रूढ़िजन्य विधि, सामाजिक एवं धार्मिक प्रथाओं का संरक्षण इत्यादि जैसी शक्तियां हस्तांतरित की गयी है।

4. अतः पैसा कानून अनुसूचित क्षेत्र के लोगों को जल, जंगल और जमीन पर अधिकार देने साथ-साथ आदिवसी धर्म और संस्कृति को संरक्षण भी देता है।
5. किन्तु 10 पेसा राज्यों में से केवल झारखंड राज्य में अभी तक पेसा नियमावली अधिसूचित नहीं हो पायी है। दरअसल पिछले 15-20 साल से एक विशेष चर्च लाबी/ईसाई ग्रुप जो विदेशी ताकतों से मिली हुई है, ने सरकार को अलग-अलग कोर्ट केस में उलझा कर रखा था और एक साजिश के तहत् पेसा नियमावली नहीं बनने दे रहा था।
6. आज आदिवासी समाज का रूढ़ि प्रथा व्यवस्थित है – समाज बाहरी तत्वों से प्रभावित होकर बिखर रहा है किन्तु पेसा के तहत पारंपरिक व्यवस्था को सरकारी संरक्षण मिलने से, पारंपरिक आदिवासी सुरक्षित महसूस करेंगे और अपने रूढ़ीजन व्यवस्था को मजबूत बना सकेंगे।
7. रूढ़ि प्रथा एवं अन्य व्यवस्था का पुनर्जन्म होगा और इससे धर्मांतरण पर रोक लगेगी।
8. पारंपरिक व्यवस्था में क्रिश्चियन समाज के लिए कोई जगह नहीं है। अतः घुसपैठियों का दखल अंदाजी और बुरा प्रभाव भी तेजी से घटेगा।

9. चर्च और क्रिश्चियन समूह को इसका अंदाजा है इसीलिए 15-20 साल से अलग-अलग कोर्ट केस में झारखंड की संबंधित पेसा नियमावली को फँसा कर रखा। नियमावली ना बन पाये इसके लिए चर्च ने कोर्ट में करोड़ो खर्च किये। ज्ञातव्य हो की आज झारखं डमें ईसाई लाॅबी हेमंत सरकार में अति महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित है, Chief Secretary, Home Secretary, Principal Secretary, Personal Department Secretary सब ईसाइयों के हाथ में है, ऐसे में च्में कानून का पास होना संदिग्ध है।
10. आज सरकार सुप्रीम कोर्ट मे भी केस जीत चुकी है। अनुसूचित क्षेत्रों में झारखंड पंचायती राज अधिनियम (JPRA, 2001) की संवैधानिकता का प्रश्न पूर्व में ही माननीय सुप्रीम कोट (Civil appeal no. 484-491 of 2006) भारत संघ बनाम राकेश कुमार और अन्य) एवं माननीय हाई कोर्ट (WP (PIL)No. 2549?2010) प्रभु नारायण सैमुअल सुरीन बनाम झारंखड) में चर्चा किया गया है। जिसके अंतर्गत झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 को पंचावी अनुसूची क्षेत्रों में विस्तार करने हेतु संवैधानिक माना गया है।
11. इनमें कुछ दलाल के चेहरे ऐसे हैं जो आगे-आगे दिखते हैं जैसे विक्टर माल्टो, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की, वाॅल्टर कण्डुलना, राॅबर्ट मिंज इत्यादि।
12. अन्तराष्ट्रीय ईसाई मिशनरी संगठन है जो इनके पीछे खड़े हैं और इनको संरक्षण देते हैं जैसे झारखण्ड सरकार के बड़े नेता ईसाई समाज के कई जनप्रतिनिधि विधायकगण सम्मिलित हैं। दरअसल ये चर्च से सम्मिलित है।
13. एक तरफ ये क्रिश्चियन MLA समाज को अपना झूठा चेहरा दिखा कर पेसा को नकली समर्थन दिखाते हैं। वहीं दूसरी तरफ ये पीठ पीछे से पेसा के खिलाफ साजिश करते हैं।
14. वर्तमान में पेसा नियमावली बनकर तैयार हो चुकी है किन्तु बाप-बेटी ने मिलकर इसे रोकने की साजिश की है।
15. झारखण्ड सरकार में बैठे नेता, विधायक तथा ईसाई बुद्धिजीवी मंच पेसा नियमावली को रोकने का षड्यंत्र करते हैं। हाल में शिल्पी नेहा तिर्की ने TAC की बैठक में सरासर गलत तथ्यों के आधार पर पेसा नियमावली को रूकवा दिया। TAC में इनका साथ विक्सल कोंगड़ी ने दिया। बैठक में शिल्पी नेहा ने कहा कि वह कुद सुझाव देगी किन्तु आज तक सुझाव नहीं दिया है। दरअसल इनकी मंशा केवल नियमावली रोकने की है, सुझाव देने की नहीं।
16. अक्सर ये चर्च के नेतृत्व करने वाले विधानसभा में पेसा के समर्थन में सवाल उठाते हैं जबकि पीछे से यही नियमावली को पूरी ताकत लगाकर रोक भी रहे हैं।

17. सरकार में बैठे कांग्रेस के बड़े नेता आदिवासी समाज को गुमराह करने के लिए पेसा समर्थन रैली निकलता है जबकि पीछे से चर्च और आगे दिखने वाले उन चेहरों के बीच की कड़ी यही है।
18. इनको डर है की चर्च का एजेंडा फेल हो जाएगा- धर्मांतरण पर अंकुश लग जाएगी। आदिवासी अपने धर्म, अस्मिता एवं अस्तित्व को मजबूती मिलेगी।
अतः महामहिम से सादर अनुरोध है कि 24 दिसम्बर 1996 को लोकसभा, राज्यसभा से पारित तथा महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा अनुमोदित पेसा कानून पंचायत अनुसूची क्षेत्रों में विस्तार अधिनियम को हुबहु अक्षरशः झारखण्ड राज्य में नियमावली बनाकर लागु करने की कृपा की जाय एवं आगामी 14 अप्रैल 2024 को वनवासी कल्याण केन्द्र द्वारा आयोजित सरहुल पुजा महोत्सव में महामहिम राज्यपाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
प्रतिनिधि मंडल ने क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव, जानेमाने न्यूरो चिकित्सक डॉ. एच.पी.नारायण, जनजाति सुरक्षा मंच के प्रवक्ता मेघा उरांव, रवि प्रकाश उरांव, तुलसी प्रसाद गुप्ता एवं जनजाति सुरक्षा मंच के मीडिया प्रभारी व रांची जिला मुखिया संघ अध्यक्ष सोमा उरांव उपस्थित थे।
