प्रकृति पर्व सरहुल की पूजा अर्चना पारंपरिक रीति रिवाज से हुआ संपन्न

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प्रकृति पर्व सरहुल की पूजा अर्चना हातमा सरना स्थल सहित शहर के अखरा और सरना स्थल में आदिवासी रीति रिवाज के साथ हुई।  बीते शाम हातमा घड़े में जल भराई कर रखने के बाद आज उसे देखा गया। पानी को देख कर भविष्यवाणी की गई कि इस बार झारखंड में इस साल मानसून सामान्य रहेगा।

झारखंड के चारों दिशा में अच्छी बारिश होगी। इस बार किसान लोग को खेती-बाड़ी में दिक्कत नहीं होगी।किसान  खुशहाल रहेंगे पूजा मुख्य पाहन जगलाल और उसकी टीम ने कराई। पाहन ने बताया कि पांच मुर्गा की बलि दी गई। सृष्टि करता सिहबोंगा के लिए सफेद मुर्गा, देवता के लिए माला मुर्गा, ग्राम देवता के लिए लाल मुर्गा, पूर्वजों के लिए लूपुंग मुर्गा और बुरी आत्मा से मुक्ति के लिए काली मुर्गा की बलि दी गई।

हम आदिवासी लोग प्रकृति के हर रूप की पूजा करते हैं, और आम जनता से भी अपील करते हैं कि वह प्रकृति से छेड़छाड़ ना करें नहीं तो आने वाला दिन हमारी पीढ़ी शुद्ध पानी और हवा के लिए तरसेगी। सभी को मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए जल जंगल जमीन पेड़ पौधा सूर्य आकाश ये सभी जीवन का अभिन्न अंग है।



दोपहर 3:00 बजे के बाद निकल जाएगी शोभायात्रा
दोपहर बाद रांची के विभिन्न अखरा एवं सरना स्थलों से सरहुल की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जो मुख्य सरना स्थल सिरम टोली जाकर समाप्त होगी।



सीलम टोली में शामिल हुए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और कल्पना

सिरम टोली में सीएम चंपाई और कल्पना सोरेन हुए शामिल
सिरम टोली सरना स्थल में सुबह में सरहुल की विशेष पूजा-अर्चना हुई. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन मुर्मू शामिल हुई।

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