भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की राज्य कमिटी ने झारखंड में केवल एक लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी देने का निर्णय किया है. पार्टी की अखिल भारतीय चुनावी कार्यनीति जिसमें भाजपा और उसके सहयोगियों को पराजित कर केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष सरकार का गठन सुनिश्चित किए जाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसे ही मद्देनजर नजर रखते हुए और राज्य की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए सीपीआई (एम) ने केवल एक सीट पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

राजमहल लोकसभा सीट पर पार्टी के चुनाव अभियान की तैयारी बहुत पहले से ही चल रही है. पार्टी का इस इलाके में अपना जनाधार भी है और पिछले दो वर्षों से यहां के ज्वलंत जनमुद्दों पर पार्टी द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है.
हालांकि यह सीट झारखंड मे आइएनडीआइए गठबन्धन के एक प्रमुख घटक की पिछले दो बार से जीती हुई सीट है. लेकिन यहां से जीते हुए सांसद की निष्क्रियता और इस लोकसभा क्षेत्र के ज्वलंत समस्याओं के प्रति उनकी उदासीनता के चलते मतदाताओं में भारी आक्रोश है. संताल परगना में कार्पोरेट घरानों द्वारा यहां उपलब्ध खनिज की लूट के लिए आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन हथियाने के खिलाफ तथा इस क्षेत्र में निजी खनन से उत्पन्न हो रहे बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ भी सांसद की रहस्यमय चुप्पी से आम मतदाता काफी नाराज हैं और खुद उनके दल के विधायकों समेत पार्टी के कई नेताओं द्वारा भी उनकी उम्मीदवारी का मुखर विरोध किया जा रहा है. यहां के आम मतदाताओं का कहना है कि यह प्रत्याशी भाजपा को हराने में सक्षम नहीं है.
इस पृष्ठभूमि में राजमहल लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई (एम) ही एकमात्र राजनीतिक पार्टी हैं जो नफरत के सौदागर बीजेपी को हराने में पूरी तरह सक्षम है. सीपीआई (एम) का मानना है कि इंडिया गठबंधन मे शामिल राजनीतिक पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग का मामला शुरू से ही राज्य स्तर पर तय किए जाने का फैसला किया गया था. इसके अनुरूप झारखंड में इंडिया गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के बीच सीट शेयरिंग आंशिक रूप से ही हुआ है. गठबंधन में शामिल देश की प्रमुख वामपंथी पार्टी सीपीआई (एम) से सीट शेयरिंग के बारे में गठबन्धन की सत्तारूढ़ पार्टियों ने कोई चर्चा भी नहीं की. झारखंड मे वामदलों के प्रति गठबंधन की सत्तारूढ़ पार्टियों की उदासीनता और उनके साथ राजनीतिक संवाद नहीं किया जाना गठबंधन के नेतृत्व की कमजोरी है, जिसके जिम्मेवार वामदल नहीं हैं।

बहरहाल सीपीआई (एम) की यह स्पष्ट समझ है कि 18 वीं लोकसभा का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की राजनीति जिस चौराहे पर खड़ी है इस चुनाव का नतीजा उसकी दिशा तय करेगा. इस चुनाव में हमारे संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र, जनवाद और देश का संघीय ढांचा सभी कुछ दाव पर लगा हुआ है. पिछले 10 सालों से केन्द्र में जिस पार्टी की सरकार है उसने केवल जनता को बांटने और हमारे देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय संपत्ति की लूट में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. इसलिए इस चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों को पराजित करना सभी देशभक्त नागरिकों का मुख्य कर्तब्य है. सीपीआई (एम) इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में उतरी है. हम इंडिया गठबंधन के एक प्रमुख घटक होने के नाते और अपनी राजनीतिक जिम्मेवारी को बखुबी समझते हुए राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से एक राजमहल सीट जहां हमारा प्रत्याशी चुनाव मैदान में है के अलावा अन्य 13 संसदीय सीटों पर इंडिया गठबंधन के वैसे उम्मीदवारों को जो भाजपा को हराने में कारगर हैं, उन्हें समर्थन दिए जाने का जल्द ही एलान करेगा।
