नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत पूरे भारत में पासवा ने 25 हजार प्री स्कूल पूरे देश में खोलने का लक्ष्य रखा है – पासवा राष्ट्रीय अध्यक्ष

आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार, उत्पीड़न एवं उनकी सुरक्षा करने में अगर वर्तमान केंद्र की सरकार असफल है तो पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है – आलोक कुमार दूबे
पासवा के कार्यक्रम में बताया कि आदिवासी समाज हमारी मानव सभ्यता, संस्कृति,मानवता के रक्षक और पोषक हैं,निश्चल और निर्मल स्वभाव के लिए आदिवासी जाने जाते हैं।आदिवासी महोत्सव के समापन समारोह में न्यू ऑक्सफोर्ड स्कूल बूढ़ीबागी कांके में पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने मुख्य अतिथि के रुप में उद्गार प्रकट किया।

उन्होंने कहा आदिवासियों का बहुत पुराना इतिहास रहा है।1947 में जब देश आजाद हुआ और हमारा गणतंत्र और संविधान की रचना हुई तो आदिवासियों को हर स्तर पर संवैधानिक अधिकार दिया गया।प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को मैं विशेष रूप से धन्यवाद दूंगा जिन्होंने आदिवासियों को आगे लाने का प्रयास किया और आज उन्हीं की देन है कि आज हमारे देश के राष्ट्रपति पद पर एक आदिवासी महिला सुशोभित हैं। उन्होंने कहा झारखण्ड में आदिवासी इलाकों में 1000 प्री स्कूल खोलने का लक्ष्य रखें ताकि आदिवासी समाज के बच्चे स्कूलों में पढ़ें और शिक्षित होकर देश के सर्वांगीण विकास में अपनी महती भूमिका निभा सकें। उन्होंने कहा जिस प्रकार प्रतिभा सम्मान समारोह के माध्यम से झारखण्ड पासवा अध्यक्ष ने हजारों बच्चों को सम्मानित किया है मुझे पूरा यकीन है कि पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक दूबे के दृढ़ इच्छा शक्ति से झारखंड में 1000 प्री स्कूल खोलने में पासवा कामयाब होगी, उन्होंने कहा नई शिक्षा नीति के तहत पूरे प्रदेश में 25 हजार प्री स्कूल खोलने का लक्ष्य रखा गया है।

आदिवासी जीवन दर्शन पर अपने विचार रखते हुए समारोह के मुख्य वक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा आदिवासी समाज अपनी परंपरा, संस्कृति, रहन-सहन, कार्यशैली,सौम्यता की वजह से जाने जाते हैं,झारखंड के आदिवासी मूलवासी अपने जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए लगातार प्रयासरत हैं।आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार, उत्पीड़न एवं उनकी सुरक्षा करने में अगर वर्तमान केंद्र की सरकार असफल है तो उनका पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं हैं। आलोक दूबे ने सभी आदिवासियों से आह्वान किया कि आपको संगठित होना होगा, शिक्षित होना होगा,समझदार होना होगा।अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए नशापान और बुरी आदतों को भी छोड़ना पड़ेगा।

पासवा के राष्ट्रीय सचिव कन्हैया प्रसाद ने आदिवासी महोत्सव समापन समारोह के मौके पर अपने संबोधन में कहा शिक्षा के बिना हर बदलाव अधूरा है। उन्होंने आदिवासी समाज से आग्रह किया बच्चों को शिक्षित करें और स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करें।
पासवा की प्रदेश महासचिव सह राष्ट्रपति अवार्डी सुश्री फलक फातिमा ने कहा आज प्रतिभाऐं किसी की मोहताज नहीं हैं,कोरोना महामारी ने हमें प्रकृति के साथ जीने का मूलमंत्र दिया है जो आदि काल से आदिवासी जीवन शैली का परिचायक है।
इस मौके पर पासवा के जिला एवं प्रदेश के पदाधिकारी,निजी विद्यालय के संचालक डॉ सुषमा केरकेट्टा ,संजय प्रसाद, आशा भगत,प्रतिमा राय, अल्ताफ अंसारी,राशीद अंसारी, मेंहुल दूबे ने अपने विचार प्रकट किया।

इसके पूर्व कलाकार एवं निजी विद्यालय के संचालक रतन नाग एवं बांसुरी वादक लेखन प्रसाद मुण्डा के नेतृत्व में विभिन्न समितियों द्वारा भव्य नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।स्कूली बच्चों द्वारा आदिवासी कला एवं संस्कृति की झलकियां भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के दौरान कांके क्षेत्र के प्रतिभाशाली टॉपर्स बच्चों को मेडल एवं सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।