चंद्रयान-3 आगामी 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर लैंड करेगा।चंद्रमा पर लैंड करने से पहले पूरे देश की नजर चंद्रयान 3 पर टिकी हुई है।
चंद्रयान-3 चांद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा तैयार किया गया 3 चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है।
बता दे कि विगत 14 जुलाई को श्री हरी कोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लांच किया गया था। लांच होने के बाद पूरे देश के लोगों की नजर चंद्रयान-3 की गतिविधि पर लगी हुई है। चंद्रयान-3 की सफलता की उम्मीद देशवासियों को तो है ही लेकिन उससे ज्यादा उम्मीद रांची के उन लोगों को है जिन्होंने चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग में अपनी अहम भूमिका निभाई।
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि देश का आन बान शान बढ़ाने वाला चंद्रयान-3 को लॉन्चिंग करने वाले लॉन्चिंग पैड को रांची स्थित बड़े कारखाना एचईसी के कर्मचारियों ने बनाया है। इसीलिए एचईसी के सभी इंजीनियर और कर्मचारी को भी चंद्र्यान-3 के लैंडिंग का इंतजार उसी उत्सुकता से कर रहे हैं।जिस उत्सुकता से इसरो में बैठे वैज्ञानिक कर रहे हैं।
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को लेकर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो चांद पर यान की लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी। इसरो के अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर निलेश एम देसाई ने यह जानकारी दी है।
न्यूज एजेंसी से सोमवार को देसाई ने बताया कि 23 अगस्त को, चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, हम लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। कोई समस्या नहीं होती है तो हम 23 अगस्त को ही लैंडिंग करेंगे।
इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और उन्हें ‘चंद्रयान -3’ की स्थिति और तैयारियों की जानकारी दी।
भारत पहला देश होगा जो चांद के साउथ पोल पर उतरेगा
दरअसल रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो गया है। अब अगर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो वो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे 25 Km की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी।
चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।
इसरो ने सोमवार को बताया कि उसने चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित कर दिया है। टु-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- ‘स्वागत है मित्र, ।