आदिवासी का मूल परंपरा रूढ़ि प्रथा उनका पहचान सफेद झंडा है जो हमारे पूर्वजों का देन है- जनजाति सुरक्षा मंच

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जनजाति सुरक्षा मंच की बैठक सेक्टर 3 धुर्वा मे हुई, इस बैठक में जनजातीय सुरक्षा मंच ने कहा है कि जो अपने पूर्वजों का अस्तित्व को नकारने वाला आदिवासी/ जनजाति नहीं हो सकता है आदिवासी/ जनजातियों का मूल परंपरा रूढ़ि प्रथा उनका पूजा पद्धति  उनका पहचान सफेद झंडा है जो हमारे पूर्वजों का देन है।  
जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं ये चर्च पोषित संगठन के लोग है और ये  क्रिप्टो क्रिश्चियन  हैं
  ये चर्च के द्वारा प्रायोजित  सरना धर्मगुरु है, इनको आदिवासियों का मूल परंपरा पूजा पद्धति से कोई लेना देना नहीं है।

जनजाति सुरक्षा मंच ने कहा है कि जहां-जहां सरना प्रार्थना सभा का प्रभाव है वहां वहां लाल सफेद रंग का झंडा स्थापित है और जहां प्रभाव नहीं है वहां केवल सफेद झंडा ही मिलेंगे जैसे छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों में जनजाती सुरक्षा मंच के माननीय राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत जी किसी का आस्था का प्रतीक झंडा को अपमानित वाला शब्द नहीं बोले हैं बल्कि अपने पूर्वजों  के द्वारा सदियों से स्थापित सफेद झंडा को पुनः स्थापित करने का अवहान किय।
दूसरी बात आदिवासी समाज में कोई धर्म गुरु, धर्म भाई, धर्म बहन का कोई स्थान नहीं है ये किस सामाजिक व्यवस्था के तहत सरना धर्मगुरु, धर्म भाई, धर्म बहन चुने गए हैं???
ये हमारे सामाजिक व्यवस्था परंपरा पूजा पद्धति  पहान पूजार को समाप्त करने का एक षड्यंत्र है।
जनजाति सुरक्षा मंच अपने पूर्वजों का अस्तित्व और पहचान को बचाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जनजाति सुरक्षा मंच किसी का विरोधी नहीं  है लेकिन अपने पुरखौती परंपरा  और अस्तित्व की रक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहेगा ।
इस बैठक मे प्रांत के प्रवक्ता मेघा उरांव, क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव, प्रांत के मीडिया प्रभारी सोमा उरांव, प्रांत सह संयोजक हिंदवा उरांव, रवि प्रकाश उरांव, साजन मुंडा, राजू उरांव, विकास उरांव, बंधना मुंडा एवं अन्य।

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