चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है. सरकार की ओर से जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में झारखंड में तीन पार्टियों का भविष्य कुड़मी मतदाताओं पर निर्भर है. पहले आजसू कुड़मी मतदाताओं पर अपना एकाधिकार मानती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में जदयू की सफलता और जेबीकेएसएस की सफलता के बाद स्थिति बदली हुई नजर आ रही है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि अगले विधानसभा चुनाव में कुड़मी वोट तीन गुटों में बंट सकता है।

विधानसभा की 81 सीटों में से 30 सीटों पर कुड़मी मतदाता निर्णायक साबित होते हैं. कहीं न कहीं इसी वजह से आजसू के साथ बीजेपी का गठबंधन बरकरार है. हालांकि, आजसू को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल सका है. 2005 के विधानसभा चुनाव में आजसू को सिर्फ दो सीटें मिली थीं. 2009 में आजसू ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल एक सीट जीती. 2014 में आजसू ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच पर जीत हासिल की थी. 2019 में 53 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद आजसू को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. वहीं जब बीजेपी ने जेडीयू के साथ मिलकर 63 सीटों पर चुनाव लड़ा तो जेडीयू ने 18 में से छह सीटों पर जीत हासिल की।