आदिवासी समाज के द्वारा बैठक की गई जिसमें 4 फरवरी को होने वाले आदिवासी एकता रैली का बहिष्कार किया गया।

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आदिवासी समाज की एक बैठक नगड़ी प्रखंड के हल्लू गांव में आयोजित की गई , जिसमें प्रमुख रूप से डीलिस्टिंग का समर्थन करते हुए 4 फरवरी को होने वाले आदिवासी एकता रैली का बहिष्कार किया गया।वक्त बुधराम महली ने कहा की धर्मांतरित हुए लोग समाज को गुमराह करने के लिए अब एकता की बात कर रहे हैं जो असम्भव है , आदिवासी एकता रैली सीधे-सीधे ईसाइयों की तथा उनके पोषित संगठनों की रैली है ,डीलिस्टिंग की मांग संवैधानिक है, पूरे आदिवासी समाज से मैं आहान करता हूं किडीलिस्टिंग का आंदोलन का समर्थन करें और ईसाई मिशनरी और उनके दलालों का बहिष्कार करें ।

हमारे आरक्षण का लाभ धर्मांतरित लोग गलत तरीके से उठा रहे है जो हम मूल आदिवासी समाज के लोगों को मिलना चाहिए , आदिवासी एकता रैली पूर्ण रूप से राजनीतिक और ईसाई मिशनरी की एक षड्यंत्र रैली जिससे आदिवासी समाज को हर हाल में बचना होगा,और इस तरीके का रैली में आदिवासी समाज के लोगों को भाग नहीं लेना होगा डीलिस्टिंग के विरोध में इस तरीके का रैली कार्तिक उरांव, भगवान बिरसा मुंडा , सिद्धू कानू, जीतराम बेदिया तिलका मांझी वीर बुधु भगत नीलांबर पीतांबर , जैसे महापुरुषों का आत्म सम्मान का विरोध हैं
मौके पर रंजन उरांव, हरिनंदन महली ,हिन्दुवा उरांव, लखन महली , लखन उरांव , सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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