मुख्यमंत्री के साथ-साथ अब झामुमो पार्टी की भी कमान अध्यक्ष हेमंत सोरेन के हाथ।

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अब झामुमो की कमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों में होगी वहीं दिशोंम गुरु शिबू सोरेन को पार्टी का संस्थापक संरक्षक बनाया गया है पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया है, जिसे हेमंत सोरेन संभाल रहे थे।

पिता शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन के पांव छूकर लिया मंच पर आशीर्वाद ।

इसके बजाय संस्थापक संरक्षक का नया पद बनाया गया है, जो शिबू सोरेन के लिए होगा. यह फैसला पार्टी के महाधिवेशन के दूसरे दिन लिया गया. इस बदलाव के साथ झामुमो एक नए युग की शुरुआत कर रही है, जिसमें हेमंत सोरेन पार्टी की अगुवाई करेंगे।

शिबू सोरेन को पार्टी का संस्थापक संरक्षक बनाए जाने का प्रस्ताव नलिन सोरेन ने रखा और स्टीफन मरांडी ने इसका समर्थन किया. इसके बाद, शिबू सोरेन ने हेमंत सोरेन को झामुमो का केंद्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. शिबू सोरेन ने मौजूद लोगों से हेमंत सोरेन को आशीर्वाद देने का आग्रह किया.

शिबू सोरेन 1987 से झामुमो के अध्यक्ष थे और उन्होंने पार्टी को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अब उनकी भूमिका बदलकर संस्थापक संरक्षक की होगी, जिसमें वे पार्टी के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने वर्ष 2025 में अपने गठन के 53 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस दौरान पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन ने दिल्ली की सत्ता को झकझोर कर रख दिया था.

शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने अलग राज्य के आंदोलन को तेज किया और झारखंडी भावनाओं का ज्वार चढ़ता ही गया. तीर-धनुष झारखंडी अस्मिता, पहचान और हक-अधिकार की रक्षा का प्रतीक बना ।

झामुमो ने जंगलों-पहाड़ों, खेत-खलिहानों से होते हुए शहरों-कस्बों तक अपनी पहुंच बनाई. चुनावी राजनीति में अपनी पकड़ बनायी और 80 के दशक से संसदीय व्यवस्था में भी अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी।

झामुमो का गठन 4 फरवरी 1973 को हुआ था।


– स्थापना दिवस: पार्टी का पहला स्थापना दिवस धनबाद के गोल्फ मैदान में मनाया गया था.
– आंदोलन: झारखंड आंदोलन ने दिल्ली की सत्ता को झकझोर कर रख दिया था.
– नेतृत्व: शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने अलग राज्य के आंदोलन को तेज किया.
– वर्तमान स्थिति: झामुमो आज भी झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख दल है और हाल ही में पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक और हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष बनाया है।

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