नियत और नीति का फर्क देखिए : एक तरफ लोकप्रिय मुख्यमंत्री @himantabiswa जी के नेतृत्व वाली असम की भाजपा सरकार ने 5 वर्षों से सेवा दे रहे अनुबंधित “समग्र शिक्षा असम” के पारा शिक्षकों को बिना परीक्षा के औपचारिकता के बिना नियोजित करने का फैसला लिया है और इसके लिए कुल 35,153 पदों का सृजन किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर झारखंड सरकार अपने वायदे के विपरीत पारा शिक्षकों के साथ सिर्फ “मीटिंग-मीटिंग” खेलने का काम कर रही है। झारखंड में पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापक) के प्रति सरकार असंवेदनशील है, मकसद सिर्फ कैसे भी इन्हें फिर ठग कर वोट लेना है।
