भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने जाना सहायक पुलिसकर्मी का हाल।

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झारखंड राज्य के सहायक पुलिसकर्मी जो मोराबादी मैदान में झारखंड सहायक पुलिस प्रदेश संगठन रांची के बैनर तले आंदोलन चौथी बार चार दिनों से मोराबादी मैदान में कर रहे हैं। भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी पुलिस कर्मियों के बीच जाकर उनकी बातों को सुना सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है बरसों से। यह उचित नहीं है भाजपा की रघुवर सरकार ने 2017 में झारखंड के 12 नक्सल प्रभावित जिलों के युवाओं को  मात्र 10000 वेतन पर 3 वर्षों के लिए रखा। इन्हें लगा कि हम तो सरकारी हो गए, पर इनको कुछ भी नहीं मिला। 24 घंटे की ड्यूटी ₹10,000 तनख्वाह, उसी में इनको ड्रेस भी खरीदना है अपना घर परिवार भी चलना है। गलतफहमी में यह सरकारी सिपाही है इनकी शादी हो गई, बच्चे भी हो गए।


7 वर्ष हो गए पर वर्तमान सरकार ने एक-एक साल  केवल अवधि का विस्तार तीन बार बढ़ाया। लेकिन मानदेय नहीं,  सुविधा नहीं दी। केवल सरकार के तरफ से नेता ,मंत्री और गृह विभाग, पुलिस  महानिरीक्षक (मानव अधिकार) इनके मांगों पर 60 दिनों के भीतर विचार करने को कहा. लेकिन आज तीन वर्ष हो गए अभी तक विचार ही कर रहे हैं। सरकार भी वही है जो 2021 में थी
छत्तीसगढ़ में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी वहां भी इसी तरह का नियुक्ति किया गया। वहां भी युवाओं और युवतियों को ठगा गया। पिछली कांग्रेस की सरकार ने उनको जिला स्ट्राइक फोर्स संभाग गठित करके सेवा को स्थाई किया। लेवल 3 में जिससे, उनका वेतन मान बढ़ा सारे सुविधा मिलने लगी।
लेकिन झारखंड में इनको पूछने वाला कोई नहीं है। *अंधेर नगरी चौपट राजा* वाली कहानी चरितार्थ होती है। केवल काम लेना है चौक चौराहों पर खड़ा करके पैसा वसूलवाना है सरकार को . 12 जिलों के 2500 सहायक पुलिसकर्मी नक्सल प्रभावित जिलों से आते हैं इनके जान को खतरा था उस समय  नक्सली लोग समझ रहे थे।

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