नगर निकाय चुनाव करवाने को लेकर किया गया कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट कैविएट दायर।

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स्थानीय शहरी निकाय चुनाव कराने को लेकर निवार्तमन पार्षद रोशनी खलखो अन्य vs झारखण्ड सरकार /झारखंड निर्वाचन आयोग मामले में उच्च न्यायालय मे किए गए याचिका मामले में माननीय जसटीस अनंदा सेन के कोर्ट में दिनांक 4/01/2024 को सुनवाई हुई थीं जिसमे उक्त मामले में सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया था, जवाब में सरकार द्धारा विकास किशन राव गवली vs महाराष्ट्र सरकार के रिट याचिका संख्या 980/2019 में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि उक्त केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश हैं कि ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय/पंचायत चुनाव कराए जाए।

उक्त जवाब पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनोद सिंह ने सरकार के आए जवाब पर जवाब दाखिल किया था कि यहां सरकार 74वे एवं अन्य प्रावधानों का उलंघन तो कर ही रही है साथ ही सरकार अब आधे अधूरे जवाब के साथ माननीय कोर्ट को भी अंधेरे में रख कर दिगभ्रमित कर रही है, सरकार विकास किशन राव गवली vs महाराष्ट्र सरकार याचिका का जिक्र तो कर रही है लेकिन सुरेश महाजन vs मध्य प्रदेश के रिट याचिका संख्या 278/2022 का जिक्र नहीं कर रहीं हैं न ही अपने जवाब में इसको लाया है क्योंकि उक्त केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सरकार को ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय/पंचायत चुनाव कराना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चुनाव ही नहीं कराए जाए , क्योंकि किसी भी परिस्थिति में चुनाव नहीं कराना सविधान की मूल अवधारणा धारा का हनन है, इसलिए ओबीसी आरक्षण कर चुनाव कराना एक प्रक्रिया है लेकिन इसके कारण चुनाव नहीं कराना गलत है इसलिए उक्त केस में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नहीं रोकने का आदेश दिया और उक्त आदेश में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि इस आदेश को रद्द या रोक सुप्रीम कोर्ट भी नहीं कर सकता है, और इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ देश के सभी राज्यों के लिए बताया है, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बिनोद सिंह ने बताया था कि सरकार का जवाब अधूरा है और झारखंड में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवमानना किया है इसलिए मेरे क्लाइंट श्रीमति रोशनी खलखो ने सरकार के ऊपर अलग से एक आवमाना याचिका भी दायर किया है, क्योंकी सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी सरकार आधी अधूरी बात के साथ जनता के साथ कोर्ट का समय भी बर्बाद कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रही है, इन बातो पर जस्टिस आनंद सेन जी ने याचिका को निस्पादित करते हुए कहा था कि सरकार ने स्थानीय चुनाव न कराकर राज्य में संवैधानिक ब्रेकडाउन किया है इसलिए कोर्ट सरकार को तीन हफ्ते के अंदर चुनाव की घोषणा का नोटिफिकेशन करने को कहा था, लेकिन तीन हफ्ते के बीत जानें के बाद भी सरकार और चुनाव आयोग ने चुनाव कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया बल्कि सरकार उच्च न्यायालय में LPA डिविजन बेंच में अपील दाखिल किया है जो कि आश्चर्यजनक है।

सरकार यह जानती है कि चुनाव कराने का आदेश माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में माननीय उच्च न्यायालय झारखंड ने सरकार को दिया है तो इस आदेश के विरुद्ध सरकार द्वारा एलपीए अपील डिविजन बेंच में करने मकसद सिर्फ चुनाव को लिंगर या लटकाए रखने के उद्देश्य से किया गया है, और चुनाव नहीं कराने की मंशा को स्पष्ट दिखता है,जो कि संविधान और जनहित के विरुद्ध है, झारखन्ड सरकार राज्य में निकाय चुनाव न कराकर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है संविधान को ठेंगा दिखाने की कोशिश कर रही है इसलिए प्रार्थी ने सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ कोर्ट ऑफ कंटेम्ट के साथ साथ सरकार द्वारा चुनाव को टालने के उद्देश्य से किए गए एलपीए अपील को चुनौती देते हुए कंटेम्प्ट याचिका दायर किया गया है।

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