सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड प्रारंभिक सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में सीटेट वह पड़ोसी राज्य से स्टेट पास अभ्यर्थियों को शामिल करने के मामले में दायर एसएलपी पर सुनवाई की। जस्टिस जीके महेश्वरी व जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान प्राथ्रियों की ओर से पक्ष रखा गया।
मामले में बहस जारी रही। बता दे कि आज की सुनवाई से पूर्व प्राथमिकयों की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, वरीय अधिवक्ता वी मोहन व झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमुतांश वत्स ने पैरवी की। उनकी ओर से बताया गया कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने परीक्षा ली, लेकिन रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया है। सीटेट उत्तीर्ण व पड़ोसी राज्य से टेट पास करने वाले झारखंड के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका में आदेश पारित कर दिया था। इस तरह का नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार झारखंड हाई कोर्ट के पास नहीं है। यह गलत है। झारखंड की क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा संताली, खोरठा, नागपुरी, हो, कुड़माली आदि का ज्ञान जेटेट अभ्यर्थियों के पास है, क्योंकि उन्होंने इसकी परीक्षा दी है, लेकिन सीटेट अभ्यर्थियों के पास क्षेत्रीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी विषय का ही ज्ञान है। जब सीटेट पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में होगी, तो उन्हें स्थानीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी। यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन होगा।