संताल परगना में आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में- बाबूलाल मरांडी

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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी गुरुवार को पाकुड़ दौरे पर हैं. इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने घुसपैठ की समस्या पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि संताल परगना में आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है. यहां आदिवासियों की संख्या लगातार घट रही है. वहीं, मुसलमानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में जिस तरह संथाल परगना में पहाड़ियां कम संख्या में दिखती हैं, उसी तरह यहां भी संथाल दिख जायेंगे. यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को पाकुड़ परिसदन में प्रेस वार्ता के दौरान कही।



बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1951 से 2011 तक की जनगणना के अनुसार संताल परगना में मुसलमानों की संख्या लगातार बढ़ी है. कहा जा सकता है कि बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठिये झारखंड में घुस आये हैं. 1951 की जनगणना के अनुसार संताल परगना में आदिवासियों की संख्या 44.67 प्रतिशत, मुसलमानों की संख्या 9.44 प्रतिशत और अन्य की जनसंख्या 45.9 प्रतिशत थी. 1961 की जनगणना में आदिवासियों की संख्या 44.67 प्रतिशत से घटकर 38.24 प्रतिशत हो गई, मुसलमानों की संख्या 9.44 प्रतिशत से बढ़कर 13.77 प्रतिशत हो गई, जबकि अन्य लोगों की जनसंख्या 48 प्रतिशत रह गई।

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