15 माउंट एवरेस्ट विजेताओं का जुटान रांची CCL में

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20 अगस्त को रांची के सीसीएल सभागार में, भारत भर से आए 15 माउंट एवरेस्ट समितियों की एक सभा आयोजित की जाएगी जो एवरेस्ट सम्मिति की 70वीं वर्षगांठ का जश्न मनाने के लिए आएंगे।

बता दे कि देश में पहली बार एक साथ 15 माउंट एवरेस्ट विजेताओं का जुटान रांची में 20 अगस्त को होगा. सभी पर्वतारोही सीसीएल सभागार में सीसीएल और आइडियेट इंस्पायर इग्नाइज फाउंडेशन के साथ मॉडर्न Pythian Games द्वारा आयोजित एवरेस्ट समिट में अपने अनुभवों को साझा करेंगे.

पहली बार भारत में, 20 अगस्त को 15 माउंट एवरेस्ट विजेताओं का जुटान रांची में 20 अगस्त को होगा सभी पर्वतारोही अपने एवरेस्ट के अनुभवों को साझा करेंगे, जो कि आईडिएट इंस्पायर इग्नाइट फाउंडेशन, सेंट्रल कोल लिमिटेड (सीसीएल), साइबरपीस फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई है, और हीरो मोटोकॉर्प, अम्वे, सीएमपीडीआई, मॉडर्न पिथियन गेम्स, रेकी द्वारा समर्थित किया गया है।

इस उत्कृष्ट सभागार में 15 प्रमुख एवरेस्ट विजेताओं की मौजूदगी से गर्व महसूस होगा, जो दुनिया के सबसे बड़े चुनौतियों में से एक को पार कर चुके हैं। उनकी असाध्य यात्राओं पर विचार करेंगे और उनकी अदम्य साहस की प्रेरणा पर विचार करेंगे जिन्होंने उन्हें सफलता की शिखर पर ले जाया।

समिट में दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले चढ़ने वाले दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे के पुत्र व दो बार एवरेट फतह कर चुके जैमलिंग तेनजिंग नोर्गे मुख्य वक्ता होंगे.

विजेताओं में झारखंड से प्रेमलता अग्रवाल, विनिता सोरेन, और हेमंत गुप्त; पश्चिम बंगाल से सत्यरूप सिद्धांत; उत्तर प्रदेश से अरुणिमा सिन्हा; जम्मू और कश्मीर से कर्नल रणवीर जमवाल; मध्य प्रदेश से मेघा परमार; कर्नाटक से प्रियंका मोहिते; महाराष्ट्र से मनीषा वाघमारे, कुंतल जोइशर; और गुजरात से अदिति वैद्य और अनुजा वैद्य शामिल होंगे।

समिट का आयोजन सीसीएल, साइबरपीस, हीरोमोटोकॉर्प, अम्वे, सीएमपीडीआई, और मॉडर्न पिथियन गेम्स के समर्थन से किया जा रहा है।

आई3 फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक और टेडक्स कांके आयोजक राजीव गुप्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह सबके लिए गर्व की बात है कि पहली बार 15 पर्वतारोही एकत्र हो रहे हैं रांची में। यह घटना उस समय के 70 वर्षों के पूरे होने की निशानी है जब एवरेस्ट को जीत लिया गया था। सभी पर्वतारोही अपने चढ़ाई के दौरान साहस, अनुभव, और विजय की कहानियाँ साझा करेंगे। सम्मिति का उद्देश्य युवाओं को दिखाना है कि यहाँ तक असंभव लगने वाले शिखर भी साहस से जीते जा सकते हैं। मिस्टर गुप्त ने यह भी उल्लेख किया कि 1953 में पहली बार दुनिया में दो व्यक्तियों ने, न्यूजीलैंड के एडमंड हिलरी और दार्जिलिंग के तेन्जिंग नोर्गे, ने एवरेस्ट को जीता था। आई3 फाउंडेशन की टीम, राजीव गुप्त, कनिष्क पोद्दार, सी एम चुग, प्रवीण राजगढ़िया, कनिका मल्होत्रा, आलोक कुमार, अमित मोदी, प्रीति गुप्त, और भरत अग्रवाल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे।

सीसीएल के सहयोग से आयोजित हो रहे इस समिट के आयोजक इग्नाइट फाउंडेशन के फाउंडर डायरेक्टर व टेडेक्स कांके के क्यूरेटर राजीव गुप्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि पहली बार देश में एक साथ रांची में 15 पर्वतारोही जुट रहे हैं. यह आयोजन एवरेटस फतह के 70 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है. सभी पर्वतारोही अपनी चढ़ाई के दौरान साहस, अनुभव व विजय की कहानियां साझा करेंगे. समिट का मकसद युवा पीढ़ी को यह बताना है कि कैसे असंभव सी मानी जानेवाली चोटियों को भी साहस के दम पर जीता जा सकता है.

प्रियंका मोहिते : महाराष्ट्र की प्रियंका मोहिते ने 21 साल की उम्र में एवरेट फतह किया. वह सबसे कम उम्र की तीसरी व पहली महराष्ट्रीयन बनी. प्रियंका को 2020 में तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड मिला. 2021 में प्रियंका ने माउंड अन्नपूर्णा व 2022 में माउंट कंचनजंगा की चढ़ाई की.

कुंतल जोइशर : मुंबई के कुंतल जोइशर ने 2016 में एवरेस्ट और 2018 में माउंट ल्होत्से की चढ़ाई पूरी की. शाकाहारी जीवनशैली वाले कुंतल यूएससी विटर्बी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग कैलिफोर्निया के पूर्व छात्र हैं.

अनुजा आनंद वैद्य : अनुजा आनंद वैद्य ने अपनी बहन अदिति वैद्य के साथ एवरेस्ट के अलावा 2019 में अर्जेंटीना के एकॉनकागुआ, हिमाचल प्रदेश की दुर्जेय मणिरंग, इंडोनेशिया की कास्टेंस पीरामिड, 2020 में अंटार्कटिका के माउंट विंसन मासिफ को फतह कर चुकी हैं.

अदिती वैद्य : अदिती वैद्य अपनी बहन अनुजा वैद्य के साथ एवरेस्ट पर चढ़ चुकी हैं. इसके अलावा अर्जेंटीना के एकॉनकागुआ व कई अन्य पर्वत चोटियों को फतह कर चुकी हैं. अदिती ने लंदन के क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पढ़ाई की है.

रूद्र प्रसाद हलदर : 39 की उम्र में पश्चिम बंगाल के रूद्र प्रसाद हलदर ने एवरेस्ट की चढ़ाई की. एवरेस्ट के लिए उन्हें करीब 45 दिनों का समय लगा. रूद्र पेश से एक मीडिया ऑपरेटर हैं. उन्होंने पर्वतारोहन की तैयारी उत्तरकाशी स्थित नेहरु पर्वतारोहण संस्थान से की.

मेघा परमार : एवरेस्ट विजेता मध्य प्रदेश की मेघा परमार 45 मीटर अंदर तक स्कूबा डाइव करने वाली पहली महिला हैं. 2019 में माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई पूरी की. मेघा मध्य प्रदेश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड आंबेसडर भी हैं.

मनीषा वाघमारे : मनीषा वाघमारे ने अपने छह सहयोगियों के साथ एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की. वॉलीबॉल की बेहतरीन खिलाड़ी मनीषा को खेल के क्षेत्र में छत्रपति पुरस्कार मिल चुका है. एवरेस्ट चढ़ने के लिए मनीषा ने औरंगाबाद के भारतीय कैडेट फोर्स कैंप में प्रशिक्षण लिया था.

भगवान चावले : पेशे से एलआइसी में विकास अधिकारी भगवान चावले ने मई 2018 में एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की. इससे पूर्व वे हिमालय की अन्य चोटियों स्टोक कांगड़ी, घोलप कांगड़ी, भागीरथी, द्वीप शिखर पर चढ़ चुके थे. इसके अलावा वानरलिंगी, वजीर, लिंगना व टेलबैला चोटी की भी चढ़ाई की है.

कर्नल रणवीर जामवाल : भारतीय सेना के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के कर्नल रणवीर जामवाल तीन बार एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. 2013 में उन्हें तेनजिंग नोर्गे अवार्ड मिला. वे दुनिया के सात प्रमुख चोटियों पर चढ़ाई कर चुके हैं. उनकी इस असाधारण उपलब्धियों के लिए सेना का सेवा पदक भी मिला. वे देश के शीघ्र पर्वतारोही के रूप में नामित हैं.

जैमलिंग तेनजिंग नोर्गे : जैमलिंग दुनिया में पहली बार 1953 में एवरेस्ट फतह करने वाले दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे के पुत्र हैं. जैमलिंग 1996 और 2002 में दो बार एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. जैमलिंग ने एवरेस्ट फतह पर टचिंग माइ फादर्स सोल नामक किताब भी लिखी है.

अरुणिमा सिन्हा : उत्तर प्रदेश की अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सात सबसे बड़े शिखर पर विजय प्राप्त करने वाली दिव्यांग महिला हैं. उन्होंने एवरेस्ट के अलावा माउंट किलिमंजारो, माउंट एल्ब्रस, माउंट कोसियुस्को, माउंट एकॉनकागुआ, माउंट डेनाली, माउंट विंसन की चढ़ाई की है. अरुणिमा को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान दिया है.

सत्यरुप सिद्धांत : सत्यरुप सिद्धांत का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे कम उम्र के पर्वतारोही के रूप में दर्ज है. सत्यरुप ने दुनिया की सभी सात चोटियों के अलावा ज्वालामुखी की सात चोटियों को भी जीत कर एक असाधारण उपलब्धि पायी है. ऐसा करने वाले वे भारत के प्रथम व्यक्ति हैं.

हेमंत गुप्ता : मैन ऑफ स्टील के नाम से विख्याज हेमंत गुप्ता ने 2017 में एवरेस्ट की सफल चढ़ाई की. वे माउंट एकॉनकागुआ, माउंट भागीरथी, लोबुचे ईस्ट, आइलैंड पीक और माउंट कनामो पर भी चढ़ चुके हैं. आइआइटी बॉम्बे से पढ़े हेमंत ने टाटा स्टील से अपने करियर की शुरुआत की थी.

विनीता सोरेन : झारखंड के सरायकेला की विनीत सोरेन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली आदिवासी महिला हैं. विनीता ने दो सहकर्मियों के साथ इको एवरेस्ट स्प्रिंग अभियान के तहत 2012 में एवरेस्ट की चढ़ाई की थी. थार रेगिस्तान अभियान के तहत विनीता ने गुजरात के भुज से पंजाब के वाघा बॉर्डर तक करीब दो हजार किलोमीटर की यात्रा भी पूरी की है.

प्रेमलता अग्रवाल : पश्चिम बंगाल की प्रेमलता अग्रवाल दुनिया की सभी सात चोटियों पर सफलता पूर्वक चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. उन्होंने एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल से चढ़ाई के लिए प्रशिक्षण लिया. प्रेमलता को 2013 में पद्मश्री व 2017 में तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार मिल चुका है.

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