झारखंड राज्य में प्रस्तावित “कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025” यदि अपने वर्तमान स्वरूप में लागू किया गया, तो राज्य के लगभग 98% कोचिंग संस्थानों के बंद होने की गंभीर आशंका उत्पन्न हो जाएगी। कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया – झारखंड का मानना है कि इस विधेयक के कई प्रावधान वर्तमान आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी परिस्थितियों में पूर्णतः अव्यावहारिक हैं। इनका अनुपालन अधिकांश कोचिंग संचालकों एवं शिक्षकों के लिए संभव नहीं है।

कोविड-19 महामारी के पश्चात झारखंड में हजारों कोचिंग संस्थान पहले ही बंद हो चुके हैं। जो संस्थान अभी भी संचालित हो रहे हैं, वे भी गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, Byju’s, Unacademy, Physics Wallah, Khan Academy, Adda247 जैसे राष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव ने स्थानीय ऑफलाइन कोचिंग संस्थानों को अत्यंत दयनीय स्थिति में पहुँचा दिया है।
यदि राज्य सरकार इस विधेयक को लेकर संवेदनशील रुख नहीं अपनाती है और आवश्यक सुधार नहीं किए जाते हैं, तो भविष्य में कुछ चुनिंदा ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स ही देश की शिक्षा व्यवस्था पर एकाधिकार स्थापित कर लेंगे। इससे न केवल स्थानीय शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को नुकसान होगा, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी भारी गिरावट आएगी।
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कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया – झारखंड राज्य सरकार से निम्नलिखित मांगें करता है:
1. कोचिंग संस्थानों के भवन निर्माण हेतु विशेष सहयोग (सब्सिडी या रियायती दर पर ऋण) की व्यवस्था की जाए।
2. कोचिंग संचालकों, शिक्षकों एवं स्टाफ के लिए बीमा, पेंशन एवं कम ब्याज दर पर ऋण की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
3. कोचिंग सेवाओं पर जीएसटी की दर अधिकतम 5% तक सीमित की जाए।
4. कोचिंग शिक्षकों को सामाजिक एवं कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए।
5. 1000 से अधिक विद्यार्थियों वाले कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार एवं सरकारी चिकित्सकों की नियुक्ति अनिवार्य की जाए।
6. कोचिंग संस्थानों के 1 किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
7. ₹5 लाख के पंजीकरण शुल्क की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए तथा यह स्पष्ट किया जाए कि संचालकों व शिक्षकों के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं होंगी।
8. कोचिंग संस्थानों के लिए बनाए गए नियमों को दिल्ली, कोटा या पटना जैसे बड़े शहरी क्षेत्रों के तर्ज पर न बनाया जाए, क्योंकि झारखंड में अधिकांश संस्थान सीमित संसाधनों में ही प्रति छात्र ₹2000–₹3000 वार्षिक शुल्क पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।