मंगलवार को माननीय महामहिम राजपाल श्री संतोष गंगवार जी महोदय झारखण्ड प्रदेश को झारखण्ड राज्य मे निवास करने वाले जनजाति समाज अगर धर्म परिवर्तन करते है,तो उनका आरक्षण समाप्त किया जाए,तथा आरक्षण कि सूची से नाम हटाया जाए /या डीलिस्टिंग किया जाए।
संताल परगना के जनजाति बहुल क्षेत्र मे जनजाति समाज का अस्तित्व लुप्त होने के कगार पर है,क्यूंकि बांग्लादेश के मुस्लमान घूस बैठी कर जनजाति समाज के बेटी बहु से शादी कर उनका ज़मीन हड़पाने का कार्य तेजी से कर रहा है,जिसके कारण जनजाति समाज मे असुरक्षा कि भावना बानी हुई है।
अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत करना :- अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तभी निर्गत किया जना चाहिए जब यह प्रमाणित होता है, कि उस व्यक्ति के माता- पिता एवं स्वयं द्वारा जनजातियों कि आस्था एवं रूढ़िवाड़ी परंपरा को निर्वाह करते आ रहे है। यदि कोई अनुसूचित जनजाति कि महिला किसी गैर अनुसूचित जनजाति पुरुष से विवाह करती है तो युवा अनुसूचित जनजाति कि नहीं कहलाएगी, और उससे अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाए,प्रदेश मे इसका बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है, अभी तक जितने भी धर्मातरित जनजातियों के लोग इसका लाभ लिया है,उनको कानून के उल्लंघन के लिए उचित कार्रवाई किया जाए।
झारखण्ड प्रदेश मे पैसा कानून पूर्ण रूप से एवं प्रभावी ढंग एवं शक्ति से लागु होना चाहिए,जैसे कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश,तेलंगाना यदि राज्यों मे लागु किया गया है।
झारखण्ड प्रदेश मे छोटा नागपुर कष्टकारी अधिनियम और संताल परगना कास्तकारी अधिनियम लागु है,इसके बावजूद भी इने दोनों अधिनियमों का घोर उल्लंघन कर अनुसूचित जनजातियों कि हजारों एकड़ ज़मीन ईसाई मिशनरियों द्वारा चर्च, विद्यालय, अस्पताल, अनाथालय यदि के नाम पर हड़पी गई है ।
झारखण्ड प्रदेश मे लागु धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2017 ke व्यापक उल्लंघन कि ख़बरें आ रही है, जिसे रोकने कि आवश्यकता है,और इसके प्रावधानों को शक्ति से लागु किया जाए । और PESR नियमावाली प्रारूप जुलाई 2023 मे प्रकाशित कि गई थी जिस पर पंचायती विभाग द्वारा आम लोगों संस्थाओं से प्रतिक्रिया मांगी गई थी किन्तु कई सालों से कुछ तत्व द्वारा पेशा नियमावाली को लगातार अवरोध किया जा रहा है , इने तत्वों कि अवरोधक गतिविधियों कुछ इस प्रकार है:-

(1) पिछले -19-20 बरसों से इसी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के सदस्यों Ne न्यायलय मे झारखण्ड पंचायती राज अधिनियम के संवाधानिकता को चुनौती -PESA नियामावली प्रारूप को ख़ारिज किया गाया बैठक मे क्रिस्चियन सदस्यों विधायकों द्वारा PESA पर सुझाव देने पर सहमति बनी। पेशा नियमावाली पेड़ताक सदस्य विधायक शिल्पी नेहा तिर्कीने अपने सुझाव दिए पूर्व मे आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा भी लिखित मे आपत्ति सुझाव दिया गया था इस पर विचार कर झारखण्ड प्रदेश कि अनुसूचित जनजातियों के लिए उपायुक्त विषयों पर आप सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे।
