20 मिनट में हाई कोर्ट का आदेश एवं अधिकारी का पत्र को निरस्त करवाया जा सकता है या इसके विकल्प निकाले जा सकते हैं ।

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हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयाग महिला विद्यापीठ एवं अन्य शैक्षणिक संस्थान से इंटरमीडिएट की योग्यता वाले तमाम बर्खास्त 800 सहायक अध्यापक /अध्यापिका तमाम सहायक अध्यापकों के लिए जरूरी सूचना

20 मिनट में हाई कोर्ट का आदेश एवं अधिकारी का पत्र को निरस्त करवाया जा सकता है या इसके विकल्प निकाले जा सकते हैं

विभागीय सचिव एवं परियोजना निदेशक के द्वारा झारखंड हाई कोर्ट के एक न्यायादेश का हवाला देते हुए आप सभी को कार्यमुक्त करने का पत्र जारी किया गया है, फिर भी आप धेर्य बनाकर रखें, आप की नौकरी नहीं जायेगी यह मुझे विश्वाश है।

झारखंड राज्य प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ / आपके अन्य शुभचिंतक एवं मैं ऐसा होने भी नहीं दूंगा
हो सकता है कुछ लोग इसे मेरा अहंकार कहेंगे तो मैं अहंकारी हूँ यह मान लें, क्योंकि हाई कोर्ट के इस आदेश का विश्लेषण या तो सरकार के मंत्री उनके अधिकारी सही तरीके से नहीं किये या ऐसे तमाम सहायक अध्यापकों के लिए सकारात्मक सोच सरकार और उनके अधिकारी के पास नहीं है। बस कानून अंधा होता है यह आज तक सुना था अब आप लोगों के संदर्भ में इसे जागृत होते हुए देख रहे हैं, पूर्व में भी 4812 अप्रशिक्षित सहायक अध्यापकों के लिए कमोबेश यही हालत थी।


हाई कोर्ट के जिस आदेश पर आप सभी को बर्खास्त करने का विभागीय पत्र जारी किया गया है, हाई कोर्ट का वह आदेश मुश्किल से 20 मिनट में रद्दी की टोकरी( डस्टबिन ) में अधिकारी को डालना पड़ेगा हाई कोर्ट के उस आदेश, विभागीय पत्र आपके पक्ष में तमाम दस्तावेज की बारीकी से समीक्षा की है और इसका अध्ययन किया है , इसके आधार पर ही मुझे विश्वाश है कि आपकी नौकरी नहीं जाने देंगे

लेकिन एक कहावत है
बाप बेटा पंच बैल का दाम 5 रुपैया
हाई कोर्ट के आदेश का विश्लेषण अधिकारी अपने तरीके से कर रहे हैं यह विश्लेषण 50 फ़ीसदी ही सही है , आपके विपक्ष में है बाकी 50 फीसदी का विश्लेषण अधिकारी गलत तरीके से निर्धारित किये हैं एवं आपके पक्ष में

सरकार एवं अधिकारी हाई कोर्ट के उसे आदेश की न तो समीक्षा करते हैं और न इसे लागू करते हैं जो हमारे पक्ष / कर्मचारियों के पक्ष में होता है, हाँ हाई कोर्ट /सुप्रीम कोर्ट /एनसीटीई/ संसद का कानून जो हमारे विपक्ष में होता है अधिकारी तुरंत इसके लिए पत्र जारी कर देते हैं। सरकार विधायिका नहीं कार्यपालिका चलाती है और यही कार्यपालिका ऐसे ऐसे नियम हमारे ऊपर थोपती है जो हमारे विरुद्ध हो एवं सरकार को इससे फायदा हो सके
वर्तमान में हम सभी देख रहे हैं कि झारखंड की आबकारी नीति जिसे कार्यपालिका ने बनाया इस सरकार के राजस्व को 40 करोड़ महीने में नुकसान हो रहा है , बदले में कार्यपालिका यानी आईएएस अफसर अपनी जेब और सरकार की जब अनैतिक तरीके से भर रहे हैं जिसका नमूना है कि झारखंड के तीन आईएएस अधिकारी या तो जेल में है या एसीबी सीबीआई उनके ऊपर शिकंजा कस चुकी है
खैर, मैं झारखंड के तमाम 800 बर्खास्त सहायक अध्यापक /अध्यापिका जिन्हें कार्यमुक्त करने का पत्र जारी किया गया है आपकी सेवा समाप्ति का अधिकार सीधे तौर पर BEEO/ DSE/ DC/ निदेशक/ शिक्षा सचिव के पास है क्योंकि सहायक अध्यापकों का संविधान( सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली 2021) के तहत आप अभी सुरक्षित हैं।


कैसे होगा इस समस्या का समाधान


इसके लिए कोई भी विधायक  मंत्री शिक्षा मंत्री को शायद या तो इसके समाधान की इच्छा शक्ति नहीं है या तरीका मालूम नहीं है और यहीं से अधिकारी अपनी मनमानी शुरू कर रहे हैं

इसके समाधान के लिए अधिकारी को संगठन के साथ बैठाना पड़ेगा और यह आपके क्षेत्र के विधायक मंत्री करवा सकते हैं , मैं विश्वास दिलाता हूं कि 20 मिनट हाई कोर्ट के आदेश /अधिकारी का पत्र निरस्त करवाया जा सकता है या इसका विकल्प निकाला जा सकता है। एक दो नहीं 5 IAS बैठ जाएं हाई कोर्ट के उस आदेश को लेकर
याद करें 4812 अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों की बर्खास्तगी जो आज भी काम कर रहे हैं यहाँ तक कि अप्रशिक्षित सहायक अध्यापकों की भी रोजी-रोटी आज कमोबेश चल रही है।

इसीलिए मैं अनुरोध करता हूं सांगठनिक रूप से आप अपने प्रखंड कमेटी जिला कमेटी के माध्यम से अपनी बात अपने क्षेत्र के विधायक  मंत्री तक पहुंचाएं और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसके निराकरण के लिए विभाग की अधिकारी को संगठन के साथ बैठाया जाए

बस आपका विधायक इसके लिए कैसे तैयार हो सिर्फ आपको तत्काल इसी पर फोकस करना है
संगठन के साथी जो इसमें आपका सहयोग कर रहे हैं उन्हें भी आपको सहयोग करना पड़ेगा।

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