आत्मदाह के नाम पर जागती है सरकार होटल अशोका के कर्मचारी की मांग ।

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रांची अशोक के कर्मचारियों की बैठक होटल में संपन्न हुई जिसमें कर्मचारियों की तरफ से आश्चर्य जताया गया कि ऐसा क्यूँ हो रहा है कि जब हम धरना -प्रदर्शन या आत्मदाह की बात करते हैं तब ही सरकार जागती है लेकिन चार दिनों बाद फिर सो जाती है।

होटल के वरिष्ठ कर्मचारी पंकज कुमार ने कहा कि हम जानते हैं कि झारखंड सरकार भी हमारे साथ खेल कर रही है लेकिन हम झारखंडी होने के कारण उनकी गलतियों पर खामोश रहते हैं। हम अपनों के खेल से ही जख्मी हैं लेकिन क्या करें एक तरफ भारत पर्यटन विकास निगम जिसमें हमलोगों  ने 25 बर्षों से ज्यादा काम किए  उन्हौनें हमें लावारिश की भांति छोड़ दिया दूसरी तरफ झारखंड सरकार भी हमारे साथ खेल कर रही है। कोई परदे के सामने से तो कोई परदे के पीछे से लेकिन दोनों खेल कर रहे हैं।



लेखा विभाग के कर्मचारी दीपक कुमार सहाय ने कहा हमलोग भारत पर्यटन विकास निगम को हर मामले में दोषी करार देते हैं लेकिन खेल झारखंड सरकार का ही है। भारत पर्यटन विकास निगम तो अपने शेयर का पैसा ले ली है फिर वो होटल का हस्थांतरण झारखंड सरकार को क्यूँ नहीं करेगी ? झारखंड सरकार हमें समायोजित नहीं करने के लिए उनसे यह खेल करवा रही है ताकि उन पर उंगली ना उठे। उनका सोचना है कि होटल उन्हें हस्थांतरित होगा तब ही वो कर्मचारी को लेने के लिए बाध्य हैं इसलिए जब भारत पर्यटन विकास निगम उन्हें होटल हस्थांतरित ही नहीं कर रही तो वो हम कर्मचारियों को कैसे समायोजित करेंगे।

स्टोर इंचार्ज ओमप्रकाश ने कहा कि हमें सम्मानीय मुख्यमंत्री महोदय हेंमत सोरेन जी से बहुत  ही ज्यादा उम्मीद थी लेकिन उनके पास हमारे लिए समय नहीं है। झारखंड के पर्यटन विभाग के सचिव महोदय अभी कुछ दिनों पहले बयान दिए हैं कि मामला केंद्रीय कैबिनेट में है लेकिन झारखंड के सचिव स्तर के एक पदाधिकारी जो अभी केंद्रीय कैबिनेट में पदस्थापित हैं उनके कहने के अनुसार पेपर केंद्रीय कैबिनेट में आया ही नहीं है। आखिर झारखंड सरकार के द्वारा हमें भ्रमित क्यूँ किया जा रहा है ? अगर आपको हमें नहीं लेना है तो हमारी मांगों के साथ हमें तुरंत स्वैच्छिक सेवानिवृति दे दीजिए।

हाऊसकीपिंग विभाग के कर्मचारी बिरेन्द्र प्रसाद ठाकुर तो बोलते- बोलते रो पड़े। झारखंड सरकार के सभी पदाधिकारीगण और आईटीडीसी के पदाधिकारीगण हर माह वेतन लेते हैं लेकिन हमें पिछले ढाई बर्षों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। हम सार्वजनिक रूप से बाहर झारखंड सरकार का विरोध नहीं करते लेकिन हमारे झारखंड प्रेम को हमारी कमजोरी नहीं समझा जाए।

फुड एण्ड विवरेज प्रोडक्शन विभाग के कर्मचारी जीतू सिंह और सुरेंद्रलाल शर्मा ने कहा कि हम आपसे लड़ नहीं सकते लेकिन मर तो सकते हैं। 15 जनवरी के बाद हमलोग कठोर निर्णय लेंगे लेकिन झारखंड सरकार विशेष कर सम्मानीय मुख्यमंत्री महोदय से अपील करते हैं कि हमें खुशियों की भीख दे दीजिए।

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