झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ ने माध्यमिक आचार्य नियुक्ति नियमावली की विसंगतियों के खिलाफ जताया विरोध, आंदोलन की दी चेतावनी ।

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झारखंड के सरकारी +2 विद्यालयों में कार्यरत पीजीटी एवं टीजीटी शिक्षकों के हितों को लेकर झारखंड प्लस टू शिक्षक संघ ने विभागीय नीतियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। संघ ने आज दिनांक 03.06.2025 को प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ठाकुर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से प्रधान शिक्षा सचिव एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं।

संघ ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पीजीटी और टीजीटी पदों को मरणशील (Dying Cadre) घोषित कर दिया गया है और इसके स्थान पर माध्यमिक आचार्य की नियुक्ति हेतु झारखंड सरकारी माध्यमिक (Secondary, Class 9-12) आचार्य, प्रधानाचार्य एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति एवं सेवाशर्त नियमावली 2025 लागू की गई है। इस नियमावली के माध्यम से वर्तमान में कार्यरत पीजीटी शिक्षकों के विद्यालय प्रधान के पद पर उनकी पदोन्नति और नियुक्ति के अवसर को समाप्त किया जा रहा है।

प्रांतीय संरक्षक सुनील कुमार ने कहा कि नई नियमावली के कारण अगले लगभग 10 वर्षों तक विद्यालयों में स्थायी प्रधान की नियुक्ति नहीं हो पाएगी और स्कूल प्रभारी के भरोसे ही अराजक स्थिति में संचालित होंगे, जो शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा”।

प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र ठाकुर ने कहा कि “विभाग के “पॉलिसी पैरालिसिस” के कारण पीजीटी को विद्यालय प्रधान के पद से वंचित किया जाना, ना तो न्यायोचित है और ना ही स्वीकार्य। हम मुख्य सचिव से अपील करते हैं कि इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप कर इसकी समीक्षा करते हुए समाधान किया जाय। ताकि शिक्षकों के हितों की रक्षा हो और विद्यालयों का संचालन सुचारू रूप से हो सके”।
प्रांतीय कोषाध्यक्ष उदय शंकर मंडल ने कहा कि “विभाग का यह कदम शिक्षकों के मनोबल को हतोत्साहित करने वाला है। अतः इस विषय पर संघ सचिवालय, न्यायालय से लेकर आंदोलन तक के लिए हर संभव संघर्ष करने के लिए कृत संकल्पित है”।

उक्त मांगों के अतिरिक्त संघ ने वरीय वेतनमान, स्थानांतरण, शिक्षा सेवा संवर्ग, प्रभारी को नियमित प्रधान का वेतन भुगतान सहित कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ज्ञापन सौंपा। प्रांतीय अध्यक्ष ने बताया कि वरीय वेतनमान को लेकर विभाग द्वारा अति शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।

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