विश्वभर में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) के रांची आश्रम ने इस दिन ‘क्रियायोग ध्यान: एक परिचय’ विषय पर आधारित एक विशेष निर्देशित ध्यान सत्र का आयोजन किया। यह सत्र वाईएसएस के एक वरिष्ठ संन्यासी स्वामी चैतन्यानन्द गिरि द्वारा संचालित किया गया। वाईएसएस के संस्थापक और विश्व के सबसे प्रशंसित आध्यात्मिक श्रेष्ठ ग्रंथों में से एक, ‘योगी कथामृत’ के लेखक श्री श्री परमहंस योगानन्द के भक्तों समेत अन्य लोगों ने सत्र में अपनी रुचि दिखाई और सैकड़ों कि संख्या मे भाग लिया।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को विश्व स्तर पर मनाया जाता है, और इस वर्ष भी इसे वैश्विक स्वास्थ्य और शांति को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में वैश्विक शांति, स्वास्थ्य और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए योग को मान्यता दी और इस दिवस को अपनाया था।

उपस्थित लोगों को ‘क्रियायोग’ से परिचित कराते हुए, स्वामी चैतन्यानन्द ने समझाया कि क्रियायोग केवल मन को शांत ही नहीं करता है — यह सर्वोच्च आध्यात्मिक उपलब्धि की दिशा में हमारी प्रगति को तेज करने का एक पवित्र मार्ग है। शनिवार शाम को आश्रम के शांत और सुखदायक परिसर में ‘श्रोताओं’ को संबोधित करते हुए, स्वामीजी ने ‘क्रियायोग’ का परिचय देते हुए कहा, “योगानन्दजी ने इसे ईश्वर-साक्षात्कार की सबसे तीव्र और सबसे सीधे मार्गों में से एक बताया था, और इसका अभ्यास साधक को गहन आंतरिक शांति, श्वास एवं मन की निश्चलता, और आनंदमय दिव्य अनुभूति का अनुभव करने में सक्षम बनाता है।” उन्होंने कहा, “क्रिया योग आत्मा के विकास की गति को तीव्र करता है।” परमहंस योगानन्द ने कहा था, “क्रिया का [एक] आधा मिनट [का अभ्यास] प्राकृतिक आध्यात्मिक विकास के एक वर्ष के बराबर होता है।” योगानन्दजी के ये शब्द स्वयं ‘क्रिया योग’ की शक्ति को स्पष्ट करते हैं।

यद्यपि कोई भी ‘क्रिया योग’ का अभ्यास कर सकता है, इसे एक गुरु के मार्गदर्शन में ही सीखना चाहिए। योगानन्दजी ने क्रिया योग दीक्षा की तैयारी के लिए साधकों को विभिन्न प्रविधियों में मार्गदर्शन करने हेतु ‘योगदा सत्संग पाठमाला—एक व्यापक गृह-अध्ययन पाठ्यक्रम’ (Home Study Series)—तैयार की है।
स्वामीजी ने विस्तार से बताया कि कैसे ‘क्रिया योग’ मेरुदण्ड और मस्तिष्क में वैज्ञानिक ढंग से प्राण शक्ति को पुनः प्रेषित करके तनाव को दूर करने में मदद करता है, जिससे भावनात्मक कष्टों से और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।
प्रवचन के बाद स्वामीजी ने निर्देशित ध्यान का सत्र आयोजित किया।

संगठन के देशव्यापी आश्रमों, केंद्रों और मंडलियों में वाईएसएस यूट्यूब चैनल पर सैकड़ों अन्य भक्त भी कार्यक्रम के सीधे प्रसारण में शामिल हुए।
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