ऑल इंडिया मोमिन कांफ्रेंस के झारखंड प्रदेश महासचिव मोहम्मद जैनुल अंसारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि पहली बार 2004 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो आखिरी बार राज्य से मुस्लिम सांसद चुन लोकसभा पहुंचे। तब गोड्डा में कांग्रेस के टिकट पर फुरकान अंसारी ने जीत दर्ज की थी। झारखंड से लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व काफी कम रहा। 2004 में गोड्डा से कांग्रेस के टिकट पर फुरकान अंसारी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2009 और 2014 में वे एकमात्र नेता रहे, जिन्हें कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया।2009 में JMM के स्व० दुर्गा सोरेन ने गठबंधन धर्म को तोड़कर गोड्डा से चुनाव लड़ा

और 4500 मात्र वोट से हार हुई। ऐसे में 2019 में जब महागठबंधन के तहत विपक्षी दलों ने चुनाव लड़ा,तब अंसारी को टिकट नहीं मिला।उनकी जगह गोड्डा सीट पर जेवीएम से प्रदीप यादव ने चुनाव लड़ा।2019 के लोस चुनाव के दौरान एनडीए और यूपीए दोनों ही गठबंधन ने किसी मुस्लिम नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया।इस बार भी किसी भी गठबंधन से मुस्लिम प्रत्याशी का ऐलान नहीं हो पाया है। एनडीए ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सभी 14 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आरक्षित सीटों के अलावा समान्य सीटों पर सर्वाधिक ओबीसी को गठबंधन ने मौका दिया है।वहीं, इंडिया गठबंधन ने अभी 4 सीटों का ऐलान किया है।गोड्डा छोड़ किसी भी सीट पर महागठबंधन से मुस्लिम नेता दावेदार नहीं हैं।अगर इस सीट पर अल्पसंख्यक को उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो गठबंधन से मुस्लिम प्रतिनिधित्व शून्य ही रहेगा।राज्य में 14 लोकसभा सीटों में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी राजमहल लोकसभा सीट पर है। लेकिन राजमहल सीट आदिवासी आरक्षित है।आबादी के लिहाज से गोड्डा सीट पर मुस्लिम की आबादी सबसे ज़्यादा है, जो कुल वोटरों का 22% प्रतिशत है। वहीं इस सीट पर आदिवासी आबादी भी अच्छी तादाद में है ,जो मुस्लिम आबादी से कम है।धनबाद में भी मुस्लिम आबादी 337017 है, जो कुल वोटरों का 15.9 फीसदी है। हजारीबाग, रांची, दुमका सीटों पर भी मुस्लिम आबादी बड़ा फैक्टर है।2019 के परिणाम को देखते हुए एक अल्पसंख्यक को उम्मीदवार बनाया जाए जिससे मुस्लिम मतदाताओं में भी उत्साह बना रहे।
