रांची में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर केन्द्रीय सरना समिति और विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा पारंपरिक वेषभूषा में हजारों की संख्या में एक विशाल पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा।
यह पदयात्रा सिरमटोली सरना स्थल से शुरू होकर मोराबादी मैदान तक जाएगी, जिसमें 500 मीटर लंबा सरना झंडा मुख्य आकर्षण होगा।
इस आयोजन के माध्यम से आदिवासी समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान और मांगों को प्रमुखता से उठाएगा।

केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने बताया कि इस पदयात्रा के जरिए निम्नलिखित मांगें उठाई जाएंगी।
एक रुपया में आदिवासी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक की मांग*
अजय तिर्की ने कहा कि पूर्व सरकार रघुवर दास द्वारा लागू एक रुपये में आदिवासी जमीन की रजिस्ट्री को रद्द करना: यह नीति आदिवासी समुदाय के हितों के खिलाफ मानी जा रही है, और इसे रद्द करने की मांग की जाएगी।
सरना धर्म कोड की मान्यता आदिवासी समुदाय लंबे समय से जनगणना में सरना धर्म के लिए अलग कोड की मांग कर रहा है, ताकि उनकी विशिष्ट धार्मिक पहचान को आधिकारिक मान्यता मिले।
पेसा कानून का लागू:-
पैशा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की जाएगी पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार अधिनियम, 1996 को आदिवासी क्षेत्रों में पूर्ण रूप से लागू करने की मांग है, जो आदिवासी समुदायों को जल, जंगल, और जमीन पर उनके अधिकारों की रक्षा करने में सशक्त बनाता है।
यह आयोजन आदिवासी समुदाय की एकजुटता और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उनके संकल्प को दर्शाता है।
यह पदयात्रा न केवल सांस्कृतिक उत्सव होगी, बल्कि आदिवासी समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने का एक मंच भी होगी।
इस पदयात्रा में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, संगठन सचिव गैना कच्छप, सुनीता कच्छप, मदरी कच्छप, रुपचंद्र केवट, प्रकाश हंस, बाहा उराँव, मुन्ना उराँव, अरविंद बाखला, कैलास तिर्की, अनिता हंस, अजय कच्छप, बिरसा कच्छप, अमित गाड़ी, शिबू रुंडा, अनूज पूर्ति जैसे प्रमुख लोग शामिल थे।