आंदोलनकारी के सम्मान में एकजुट हुए संगठन।

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बेहतर झारखंड के लिए आंदोलनकारीयों ने उलगुलान टू का संकल्प आंदोलनकारियों ने कहा झारखंड पर पहला हक आंदोलनकारियो का सरकार आंदोलनकारियो के लिए विधान बनाएं।

हरा लाल झंडों से लैस हज़ारों की संख्या में झारखंड आंदोनलाकारी आज पारंपरिक साजो सज्जा के साथ विधान सभा मैदान पहुंचे और कहा विधान सिर्फ़ कंपनियों के लिए बना तो दूसरा उलगुलान 2 तय है जो केंद्र और झारखंड सरकार के लिए महंगा साबित होगा। झारखंड गुजरात ,उतर प्रदेश और मध्यप्रदेश नहीं है जो हमारे सर पे पेशाब कर देगें और हम यूं ही सह लेंगे । हमारी धैर्य की परीक्षा लेने के बजाय झारखंड की सांस्कृतिक पहचान और परम्परा और सम्पदा की रक्षा करने की सरकार गारंटी करें।


आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य में प्रवेश के साथ आम लोग ये समझ सके की वे विरसा की धरती झारखंड में हैं इसके लिए रेलवे , दूर संचार कंपनियां ,नागपुरी संथाली खोरठा समेत अन्य क्षेत्रीय भाषा में सूचना प्रसार की गारंटी सुनिश्चित करें। साथ ही सभी प्रमंडलो में झारखंड आंदोलनकारी कोरिडोर और स्मारक का निमार्ण कराने की गारंटी किया जाना चाहिए। बृहद झारखंड के बजाय हम बेहतर झारखंड का निर्माण के लिए आज हर आंदोलनकारियो प्रतिबद्ध हैं इस कार्यभार को झारखंड आन्दोलन उलगुलान 2 के माध्यम से पूरा करेंगे । हर झारखंड आंदोलकारी आगे आएं झारखंड आन्दोलन उलगुलन 2 में जो आंदोलनकारी शहीद होगें आंदोलनकारियो की सरकार बनी तो सीधी नौकरी और 50 हजार सम्मान राशी प्रतिमाह भूगतान की गारंटी करेगी।

आंदोलनकारियो के महाजुटान कार्यक्रम की शुरूआत पदमश्री मुकुंद नायक और मधु मंसूरी की जनगीत झारखंड आवी कैसे आपन राज से हुई। सर्वप्रथम झारखंड आन्दोलन के शहीदों जयपाल सिंह मुंडा, एन ई होरो , निर्मल महतो ऐ के राय ,विनोद बिहारी महतो , सहयोगी फादर तिलोस्फर टोपो, देवेंद्र मांझी, रामदयाल मुंडा, बीपी केसरी, महेन्द्र सिंह समेत आन्दोलन के सहयोगी आर्च बिशप पी तिलोस्फर टोपो को एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित किया गया तत्पश्चात महाजुटान सभा की शुरुवात जिसे। पूर्व सांसद और आंदोलनकारी भुवनेश्वर मेहता, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, जल जंगल जमीन की लड़ाकू नेत्री दयामणि बारला, प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार और आंदोलनकारी अनुज कुमार सिन्हा, कोलेश्वर सोरेन, चंद्रनाथ भाई पटेल, काशीनाथ केवट, मोर्चा के अध्यक्ष विदेशी महतो, संस्थापक पुष्कर महतो, झारखंड आंदोलनकारी भुवनेश्वर केवट, इजहार राही, जितेंद्र सिंह, असफाक अंसारी,
रोजलिन तिर्की, सीताराम उरांव सरोजनी कच्छप प्रफुल तत्वा, , करमचंद गांधी, अली हसन, दिनेश राम समेत कई आंदोलनकारियो ने संबोधित किया।झारखंड आन्दोलन के सात वरिष्ठ आंदोलनकारियों को सम्मान पत्र और पौधे देकर सम्मानित किया गया जिसमें अलफ्रेंड आइंद, बद्री सिंह, सेख रहमान, जगत महतो, चंद्रधान महतो, गोरांग रॉय, मदन मोहन महतो महेरजन बीबी, बीपी नंदी समेतकई आंदोलनकारी शामिल हैं। भीख नहीं अधिकार चाहिए जीने का अधिकार चाहिए, लड़े हैं और लडेंगे, हम अपना अधिकार लेके रहेगें, जंगल जमीन खनिज और रोजगार की लूट बंद करो के नारे के साथ राज्य के 22 जिलों से हजारों आंदोलनकारी हरा लाल झंडे के साथ नगाड़ा टमाक और तीर धुनुष के साथ मैदान में पहुंच कर झारखंड आन्दोलन उलगुलान दो का संकल्प लिया।


सभा के पश्चात एक 10 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें जेल की बाध्यता खत्म कर आंदोलनकारियों के पहचान की गारंटी करने, झारखंड में जातीय जनगणना अविलंब पुरा कराने, प्रेस की आजादी पर हमला बंद करने, सभी बोर्ड आयोगों में आंदोलनकारियो की भागीदारी सुनिश्चित करने, आंदोलनकारियो को मरने के उपरांत राजकीय सम्मान की गारंटी जीवित आंदोलनकारियो की सम्पूर्ण चिकत्सा की गारंटी, सम्मानजनक पेंशन राशी बढ़ाने, साथ ही एचईसी के मजदूरों की 19 महिने से बकाया मज़दूरी की गारंटी करना शमिल है।

कार्यक्रम में निरंजना हेरेंज सत्य देव राय, अनिल मनोहर, हबूलाल गोराईं समेत कई प्रमुख आंदोलनकारी शमिल थे।

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