झारखण्ड राज्य प्रशिक्षित संघ के प्रदेश अध्यक्ष व मेरे सांगठनिक अजीज दोस्त सिद्दीक् जी के ब्रेन हेमरेज की खबर 25 december को दोपहर करीब 12 बजे मिलने के बाद *मैं 25 December को ही रांची चला गया था और आज 5 दिन बाद वापस साहेबगंज आया हूँ
उनके ब्रेन आघात की खबर सुनने के बाद उनके स्वस्थ होने का प्रयास से लेकर उनके मृत्यु एवं दफन तक मैं और सुमन जी सदैव साथ रहा।
आत्मकुंठा जरूर इस बात की है कि मैं और सुमन जी सिद्दीक जी को वापस नहीं ला सके लेकिन आत्मासंतोष इस बात का है कि हम लोग उनके स्वस्थ होने का हर संभव प्रयास अंतिम दम तक किये. *इस दौरान कई सहायक अध्यापकों के द्वारा उनके स्वस्थ होने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की गई एवं RIMS में आकर उनसे मुलाकात की जिसका हम सभी आभार व्यक्त करते हैं* .
दूसरी तरफ ऐसे सहायक अध्यापक जो अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया एवं सिर्फ सहायक अध्यापक संगठन से उम्मीद और मांग की अभिलाषा आज तक करते रहे उन्हें धिक्कार है उनके जीवन पर , कुंठा और एक बदनुमा दाग और धब्बा है उनके मानवीय संवेदना पर
ईलाज प्रारंभ से लेकर उनके सुपूर्दे खाक होने तक हम दोनों कैसे रहे ? इसका चर्चा नही करना चाहता !
क्यों साथ रहा ?इसपर निश्चित रूप से अपनी बात रखूँगा. शायद आप सभी को कुछ आत्मज्ञान हो जाए।
वस्तुतः आत्मज्ञान तभी होगा “*जब आत्म चिंतन/ आत्म मंथन करेंगे’* और आत्मचिंतन आत्ममंथन वैसे दिलों में होती है जिस दिल में धड़कन रहते हैं वरना *मुर्दे में जान नहीं होती है* यह हम सभी को पता है.

वस्तुतः-
मैंने और सुमन जी ने झारखंड राज्य प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ को एक परिवार के रूप में माना था माना है और शायद अपनी अंतिम सांस तक इस संघ को अपने परिवार की तरह ही मानेंगे .
*मरहुम सिद्दीकी जी इस परिवार के*
*अभिभावक थे एक सदस्य थे और संघर्ष के साथी थे*
*उस संघर्ष के साथी जिसके बदौलत 20 वर्षों की सेवा के बाद हमें कैबिनेट से स्थाईकरण, सामान्य भविष्य निधि का लाभ अब तक मिला है. 20 वर्षों की सेवा के दौरान मरने के बाद सरकार द्वारा कफन का पैसा भी जब कोई संघ इसके पूर्व नहीं दिला सका वह सिद्दीक जी के नेतृत्व में प्रशिक्षित संगठन ने 26 फरवरी 2023 को पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय जगन्नाथ महतो जी के हाथों इसकी स्वीकृति की आधार रखवायी थी*,
बाद के समय में इसकी कैबिनेट से स्वीकृति दिलवाने में झारखंड सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के तमाम लोगों का निश्चित रूप से योगदान रहा है
*अब इस EPF के बदौलत सहायक अध्यापकों की मृत्य के बाद 6 लाख रुपये ( अनुमानित) सामाजिक सुरक्षा के तहत दी जायेगी जैसा कि प्रशासी अधिकारी JEPC श्री सच्चिदानंद तिग्गा जी के माध्यम से आज 31 दिसंबर को अभी मुझे जानकारी मिली है साथ ही अल्प पेंशन का भी प्रावधान है इसकी रकम कितनी होगी यह अभी मुझे जानकारी नहीं है*
अब सिद्दीक जी के इंतकाल के बाद उनके आश्रित परिवार सहित अन्य ऐसे तमाम मृत सहायक अध्यापकों के आश्रित को अनुकंपा का लाभ सहायक अध्यापक पद पर कैसे मिले यह एक नीतिगत और सरकारी प्रावधान एवं सांगठनिक संघर्ष का विषय है।
इस सांगठनिक दायित्व के अतिरिक्त एक पारिवारिक दायित्व का निर्वहन भी हम सभी को करना है ताकि उनके दो आश्रित पुत्री की शादी, दो बच्चों का पढ़ाई लिखाई का खर्च एवं जीवन यापन कैसे सुलभ तरीके से किया जा सके यह एक यक्ष प्रश्न है* ?
दुःख की इस घड़ी में *आप तमाम राज्य प्रतिनिधि, तमाम जिला अध्यक्ष जिला सचिव का यह सामाजिक एवं नैतिक दायित्व है कि इसका निर्वाहन किस प्रकार से किया जा सके इस पर आत्म चिंतन करें और यह आत्म चिंतन सिर्फ वही व्यक्ति कर सकते हैं जो जीवंत हो जिसके अंदर मार्मिक ज्ञान हो . वर्ना हाड़ माँस के इस स्थूल बदन जिसमें आत्मज्ञान ना हो वह मुर्दे के समान है
व्यक्तिगत तौर पर मैं अपने ईश्वर से यह कामना करता हूं कि मुझे ऐसी ताकत दें जो सिद्दीक जी के जाने के बाद उनके परिवारजनों के सभी दायित्वों का निर्वहन मैं कर सकूं