हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से बौखला गए हैं भगवाधारी : विनोद पांडेय

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धर्म, जाति, वैमनस्य, साम्प्रदायिकता फैलाने की मानसिकता रखने वाली भारतीय जनता पार्टी के नापाक मंसूबे झारखंड की सरजमीं पर कभी कामयाब नहीं हो सकेंगे। केंद्र और भाजपा का भेदभाव पूर्ण रवैया जगजाहिर हो चुका है। केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा ने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करके आई थी, लेकिन दस वर्षों से देश के नौजवानों को केवल ठगा गया है।

देश का युवा समझदार है और भाजपा के भेदभाव और साम्प्रदायिक खेल को समझ चुका है। भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा बेपर्दा हो चुका है। यही वजह है कि भाजपा की रैली से युवा नदारद रहे। भाजपा के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए रैली करने नहीं आए थे, उनका उद्देश्य पुलिस को उकसाना था, ताकि बलपूर्वक कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार को हरेक नागरिक की सुरक्षा की चिंता है। किसी को कानून अपने हाथ में नहीं लेने दिया जा सकता।
राज्य के नौजवानों को युवा आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अटूट विश्वास है। इसका प्रमाण झारखण्डी अधिकार मार्च में उमड़ा युवा सैलाब को देख कर मिल गया है। राज्य का हर नागरिक यह देख और समझ चुके हैं कि किस प्रकार लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित लोकप्रिय हेमंत सरकार को भाजपा अस्थिर करने के लिए कितने निचले स्तर पर जा कर षडयंत्र करती रही है। केंद्र और भाजपा सरकार ने हेमंत के खिलाफ लगातार ईडी के पीछे से स्वांग रचा, राजभवन से सरकार के महत्वपूर्ण विधेयकों को कानून बनने से रुकवाया गया। यह सब काम नहीं आया तो हेमंत सोरेन को पांच महीने जेल में डाल दिया। लेकिन इस दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई से हेमंत सोरेन की लोकप्रियता और बढ़ जाने के बाद भाजपा को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह झारखंड में अपनी खोई राजनीतिक जमीन को कैसे वापस हासिल करे, यही वजह है कि मुद्दा और नेता विहीन भाजपा बौखलाहट में पड़ गई है। झारखंड में भाजपा अपना जनाधार खो चुकी है।

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