Post-graduate के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया डॉ हरि उरांव के द्वारा लिखित पुस्तक चइजका।

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जनजातीय भाषा कुंडूख (उरांव) विभाग के विभागाध्यक्ष सह प्रधान संपादक डॉ हरि उरांव के द्वारा लिखित पुस्तक चइजका कथा डंडी पुथी  रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है, इस पुस्तक में लिखा गया है पदा नाद, एड़पा नाद, अडडो मेखो नाद , परता नाद ,खली नाद यानी सभी जगह उरांव और जनजाति समाज भूत प्रेत का ही पूजा करता है ऐसा बताने का प्रयास किया गया है जबकि जनजाति समाज पदा माने गांव यानी गांवा देवती, गावा देवी, एड़पा माने घर अडडो मेखो माने गाय बैल , खली माने खलिहान इत्यादि सभी जगह को भूत प्रेत कहना ये आदिवासी/ जनजाति समाज का आस्था और विश्वास को ठेस  पहुंचाना और  गाली देने का बराबर है।
सिरा सीता नाले के बारे में भी इस पुस्तक में अभद्र टिप्पणी किया गया जो अत्यंत ही निंदनीय है। 
आज इस विषय को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच के एक प्रतिनिधि मंडल डॉ कुलपति अजीत कुमार सिंहा रांची विश्वविद्यालय को मांग पत्र सौंप कर यथाशीघ्र आपत्तीजनक पुस्तक को हटाते हुए  जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के विभागाध्यक्ष को भी हटाने की मांग की इस पर कुलपति महोदय ने    हटाने का आश्वासन दिया ।
संगठन ने कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर इस पाठ्यक्रम से आपत्तिजनक पुस्तक और डॉ हरि उरांव को नहीं हटाया गया तो बाध्य होकर  न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे वही रांची  विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी महाविद्यालयो में कुड़ूख  भाषा  पढ़ाने वाले शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए मंच की ओर से महामहिम राज्यपाल  से मिलकर के अवगत कराया जायेगा



इस प्रतिनिधिमंडल में जनजाति मंच के  मेघा उरांव , संदीप उरांव
सोमा उरांव ,हिन्दुवा उरांव , सन्नी उरांव , प्रोफेसर गावा तिग्गा  , सुषमा कुजूर , राजू उरांव , जगन्नाथ भगत ,मनोज भगत ,जय मंत्री उराव , लाल मुनी देवी आदि उपस्थित थे

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