झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को उद्योग विभाग के द्वारा बर्खास्त किए गए कर्मचारी को 19 साल का लंबित वेतन देने का निर्देश दिया है.दरअसल भावेश कुमार झा को उद्योग विभाग के अधीनस्थ हथकरघा, रेशम और रेशम उत्पादन विभाग 1984 में विभाग के पायलट प्रोजेक्ट सेंटर में क्लर्क-कम-कैशियर के पद पर नियुक्त किया गया था.नौकरी के कई वर्षों बाद याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी कर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई और वर्ष 2007 में उसकी सेवा खत्म कर दी गई. सेवा खत्म किए जाने के खिलाफ भावेश ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को नौकरी से निकालने जाने का फैसला सही नहीं है।

हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने इस मामले में दिए अपने आदेश में कहा है कि “इसमें कोई संदेह नहीं कि याचिकाकर्ता ने 1998 से 2017 तक काम नहीं किया, लेकिन जिस मामले में यह पाया जाता है कि कर्मचारी की कोई गलती नहीं है और फिर भी उसे नौकरी से निकाल दिया गया वह वेतन पाने का हकदार है।
