राज्य सरकार आदिवासियों के जमीन के मामले में अंधा एवं मौन व्रत धारण की हुई हैं -आदिवासी समन्वय समिति झारखंड

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राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति झारखंड के तत्वाधान में आदिवासियों की सामाजिक धार्मिक एवं रैयती जमीन को बचाने के संदर्भ में प्रेस वार्ता का आयोजन केंद्रीय धूमकुड़िया भवन, करम टोली चौक रांची में किया गया

इस प्रेस वार्ता में आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक एवं रैयती जमीन का हो रहे अवैध हस्तांतरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि राज्य सरकार के अधिकारी, भू माफियाओं के गठजोड़ से जबरन आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लैंड लॉन्ड्रिंग किया जा रहा है जो की काफी गंभीर एवं आपराधिक मामला है राज्य सरकार भी आदिवासियों के जमीन के मामले में अंधा एवं मौन व्रत धारण किए हुए हैं ।न्यायालय द्वारा दिए गए दखल देहनी के आदेशों का अनुपालन भी अंचल अधिकारी गण एवं जिला प्रशासन के द्वारा नहीं कराई जा रही है। राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन भी आदिवासियों को न्याय देने के मूड में नहीं है।

वहीं दूसरी और अंचल कार्यालय में अंचल अधिकारी, कर्मचारी, NIC और भू माफियाओं की मिली भगत से गलत तरीके से रसीदों में लगान कम देना, खतियान के रकबा प्लॉट की संख्या में गड़बड़ी करते हुए व्यापक पैमाने पर जालसाजी किया जा रहा है जो की कानूनन गलत है, यदि राज्य सरकार सच में आदिवासियों की हितैसी है तो आदिवासियों के जमीन को बचाने के लिए एसीबी से जांच करना चाहिए यदि राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति झारखंड राज्य सरकार, जिला प्रशासन, अंचल अधिकारी एवं भू माफियाओं के खिलाफ न्यायपालिका जाएगी | आदिवासियों के जमीनों का हो रहे अवैध हस्तांतरण के मामले में संरक्षक माननीय राज्यपाल महोदय को हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि आदिवासियों को सामाजिक एवं धार्मिक तौर पर माननीय राज्यपाल या भगवान ही बचा सकते हैं ।

जहां एक और राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही है वहीं दूसरी ओर ईडी आदिवासियों की जमीनों का बिना दस्तावेजों के कब्जा करने के फिराक में है, जो काफी अनुचित है अभी हाल के दिनों में बड़ागाई मौजा के बकास्त भुईहरी मुन्डाई जमीन पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ जोड़कर ईडी द्वारा उस जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है जो कि अनुचित है। यदि हेमंत सोरेन ने उपरोक्त जमीन को खरीदा है तो ईडी हेमंत सोरेन के दस्तावेजों को सार्वजनिक करें ।यदि हेमंत सोरेन ने गड़बड़ी की है तो उनके पैतृक संपत्ति को कुर्क  करना चाहिए न कि दूसरे आदिवासियों के जमीन को समाहित करना चाहिए ।

यदि उक्त आदिवासी जमीन पर ईडी द्वारा अवैध कब्जा नहीं छोड़ा गया तो आदिवासी समाज ईडी के खिलाफ हाई कोर्ट में मुकदमा दायर करेगी ।ईडी से हम मांग करते हैं कि जिस प्रकार हेमंत सोरेन के मामले में वह गंभीरता दिख रही है क्या विभिन्न गैर आदिवासियों द्वारा जो आदिवासियों की जमीन को जाली दस्तावेजों एवं सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर व्यापक पैमाने पर लैंड लैंडिंग किया जा रहा है उस पर भी जांच एवं कार्रवाई करेगी ? इस प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से झारखंड आंदोलनकारी साधु चरण पूर्ति, पूर्व प्रमुख बुधवा उरांव, आदिवासी महासभा के अध्यक्ष नारायण उरांव, बलकु उरांव, आदिवासी लोहरा समाज के कार्यकारिणी अध्यक्ष अभयभूट कुवर, क्षेत्रीय पड़हा हटिया के अध्यक्ष अजीत उरांव, डब्लू मुंडा समेत अन्य उपस्थित थे।

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