शनिवार को जयपाल सिंह स्टेडियम से सैकड़ों की संख्या में आदिवासी मूलवासियों ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को तेज कर करते हुए। झारखंड में भी कई समाजिक संगठनों द्वारा ईवीएम मशीन का विरोध कर रहे रहा है।
चुनाव आयोग और बीजेपी की नीतियों से उग्र हुए संगठनों ने ईवीएम डमी बना कर उनका दहन किया. साथ ही चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर ईवीएम वोटिंग का विरोध किया। उन्होंने ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है।

सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि, जिस मशीन में चिप है, उसे हैक किया जा सकता है। साथ ही यह भी कहना है कि जब दुनिया के सबसे ताकतवर देश में बैलेट से चुनाव हो सकता है, तो हमारे देश में क्यों नहीं। वहीं उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज जब भारत से भगाया था और अब उनके बनाए हुए मशीनों को इस देश से उखाड़ फेकेगें, लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा कि जब समूचा विपक्ष बैलेट से चुनाव की मांग कर रहा है तो केंद्र सरकार को एक बार ईवीएम की जगह बैलट से चुनाव करा देना चाहिए। ताकि विपक्ष की आंशका दूर हो सके।

प्रेमशाही मुण्डा ने कहा कि अन्य देशों में ईवीएम से चुनाव नहीं कराया जा रहा है तो भारत में क्यों ईवीएम से चुनाव कराया जा रहा है। भारत में चुनाव कराने के लिए ईवीएम मशीन को हटाकर बैलेट पेपर से ही चुनाव कराया जाए। मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।

लक्ष्मीकांत मुंडा ने कहा कि आखिर क्या वजह है जो चुनाव आयोग बैलेट पेपर मे चुनाव नहीं करना चाहती हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि यदि पृथ्वी से हजारों मील दूर चंद्रमा पर चंद्रयान को उतारा और नियंत्रित किया जा सकता है तो इस इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में दर्ज डेटा को दूर बैठ कर प्रभावित क्यों नहीं किया जा सकता।

वहीं मौक़े पर नदीम खान ने कहा कि आखिर कार बीजेपी क्यों चुनाव ईवीएम पर करवाना चाह रहीं हैं, क्या वजह है जो पूरे देश में ईवीएम के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है उसके बावजूद भी बैलेट पेपर से चुनाव नहीं किया जा रहा है, जरुर दाग में हैं।
मौके पर प्रकाश हंस, कैलास उराँव, मुन्ना उराँव, निरजना हेरंज टोप्पो, राहुल तिर्की, संदीप तिर्की, विजय बड़ाईक, रंजू, शिवा कच्छप, परमेश्वर, सलीना लकड़ा, रमेश चंद उरांव लाला महली, दिनेश कच्छप आदि लोगों ने शामिल हो ईवीएम का विरोध जताया।
