आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष एवं संयोजक ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि झारखंड से राज्यसभा के लिए दो सीट मई में खाली हो रही है जो एक कांग्रेस का महागठबंधन कोटे ,दूसरी बीजेपी के कोटे से समीर उरांव का जगह खाली होगा, जिसमें झारखंड कोटे से दो राज्यसभा मेंबर को चुना जाना है लेकिन जिस तरह बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने अप्रत्याशित रूप से उम्मीदवार का नाम जारी किया इसे तो लगता है कि झारखंड प्रदेश चुनाव समिति द्वारा भेजा गया नाम सिर्फ दिखावे के लिए जारी किया गया था खबरों में आदिवासी उम्मीदवारों का नाम उछलकर अचानक से बहरी व्यक्ति का बीजेपी में राज्य की राजनीति में प्रभाव दिखाना पूरे आदिवासी समुदाय को ठगने जैसा महसूस कराता है।संयोजक एवं कोषाध्यक्ष श्री जलेश्वर भगत ने कहा कि झारखंड कोटा से राज्यसभा में झारखंड का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी दूसरे राज्य से आए प्रतिनिधियों का चयन करना झारखंड के सभी आदिवासी एवं मूल वासी को सोचने पर मजबूर करता है की क्या झारखंड में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो झारखंड का प्रतिनिधित्व बीजेपी सरकार की ओर से कर सके। यह अलग विषय है कि यह भाजपा संगठन के अंदर की बात है लेकिन फिर भी चुनाव के वक्त झारखंड से बाहर के उम्मीदवारों को लाकर खड़ा कर देना वाकई परेशान करने वाली बात है क्योंकि झारखंड में अभी गैर आदिवासी सीट में राज्य से बाहर के उम्मीदवारों पर अलग राय बन रही है। बीजेपी को इस पर जरूर विचार करना चाहिए कि कहीं मामला विपक्ष को लाभ तो नहीं पहुंचाएगा अगर ऐसा हुआ तो शांति से सब कुछ चुनाव में बदल जाएगा।
