आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उराँव के नेतृत्व में 170 वी हूल दिवस मनाया गया राँची मोरहाबादी स्थित सिद्धू- कान्हू पार्क में बाबा सिद्धू- कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित के साथ झारखंड के सभी महापुरुष को याद किया गया ।

केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उराँव ने कहा अंग्रेजी हुकूमत को नहीं किया स्वीकार सही अर्थ में कहा जाये, तो हूल क्रांति उठा का मतलब है कि आह्वान हुआ. इसके माध्यम से शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया गया. हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों का 200 साल का शासन हुआ. इस दौरान जनजातीय समाज ने अंग्रेजों की हुकूमत को स्वीकार नहीं किया और वह जंगल में घूमते रहे. ईस्ट इंडिया कंपनी से जंग लड़ी. उन्होंने अपने संसाधनों की सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ी. उनका कहना था कि मेरी जमीन, मेरा आसमान और मेरी प्रकृति, तो हम गोरे शासन को टैक्स क्यों दें. 1761 के समय उनकी अपनी व्यवस्था थी. जिसके माध्यम से ये अपने समाज का संचालन करते थे. उनकी व्यवस्था में किसी प्रकार का रोक-टोक नहीं मानते थे, इसलिए ऐसे आंदोलन सामने आये।
रांची जिला अध्यक्ष – राजू उराँव ने कहा हूल के बाद शुरू हुआ था अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष:-
संथाल हूल एशिया का सबसे बड़ा आंदोलन था. जिसमें कई गांव आंदोलन के लिए निकल पड़े थे. लेकिन जो शुरुआती आंदोलन था, वह अंग्रेजों के खिलाफ नहीं था. वह सबसे पहले साहूकारों और महाजनों के खिलाफ था. इसके बाद जब अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ा, तब जाकर ये हूल आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुआ. जिसमें कई बातें सामने आयीं. वहीं एक नयी पॉलिटिक्स इस देश में है कि आप एक रूल बनाओ. इसलिए आपने एक रूल एसपीटी एक्ट बनाया, जो खुद में पूरा नहीं है. इसमें जो प्रोविजन है, उसमें भी कई चीजों का समावेश नहीं है. अधिकार हमारे लिये बनाये गये, लेकिन ये हमें मिल नहीं रहे हैं. इसलिए हमारे लिये अधिकारों को लागू करने की जरूरत है।

डीएसपीएमयू इकाई अध्यक्ष – विवेक तिर्की ने कहा आज की पीढ़ी को इतिहास बताने की जरूरत :-
उस समय जो आंदोलन हुए, उसमें लोग पहले साहूकारों के खिलाफ और उसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए और हूल आंदोलन सामने आया. मेरा मानना है कि हम हमेशा इस तरह की चर्चा करते हैं कि आंदोलन हुआ. लेकिन जो इसमें शामिल हुए, उन तक हम नहीं पहुंच पाये हैं. सिलेबस में हूल आंदोलन से जुड़ी चीजें पढ़ायी जाती हैं, लेकिन विद्यार्थियों को पूरी जानकारी हम नहीं दे पाते हैं. वहीं यहां के इतिहास में इस हूल आंदोलन को शामिल करने की जरूरत है. इस ओर भी कुछ काम करने की जरूरत है, जिससे कि हमारी आनेवाली पीढ़ी को भी इसकी जानकारी मिल सके. तभी हमारी आनेवाली पीढ़ी के मन में अपने पूर्वजों के लिए सम्मान रहेगा हूल दिवस पर झारखंड के सभी महापुरुषों को कोटि-कोटि नमन किया ।

इस मौके पर अनेक पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:-
केंद्रीय मीडिया प्रभारी – सुमित उराँव
रांची जिला अध्यक्ष – राजू उरांव
डीएसपीएमयू इकाई अध्यक्ष – विवेक तिर्की
अमित उराँव, छोटू उराँव, कर्मा उराँव,आनंद उराँव,प्रकाश उराँव,प्रदीप उराँव, पुष्पा उराँव,अनिकेत तिर्की ,विष्णु कुमार ,बिपिन मुंडा ,अजय गाड़ी , जीनित खलखो, रमेश मुंडा पूर्व रातू प्रखंड अध्यक्ष, अमित तिग्गा रातू प्रखंड सचिव, सोनू मुंडा, वीरेंद्र मुंडा, अमर मुंडा तथा अन्य सदस्य उपस्थित रहे ।