झारखंड के पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्रों के 10+2 विद्यालयों मे खड़िया सहित सभी जनजातीय मातृभाषाओं में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु प्राथमिकता देने के संबंध में झारखंड राज्य के पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदायों की उपस्थिति है, जिनकी प्रमुख मातृभाषाएँ – खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी, संताली, हो आदि हैं। ये भाषाएँ न केवल सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक हैं, बल्कि प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर शिक्षण-अधिगम को प्रभावी और बोधगम्य बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

वर्तमान में राज्य के 10+2 विद्यालयों में मातृभाषा आधारित शिक्षा की समुचित व्यवस्था न होने के कारण विद्यार्थियों को शैक्षिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे न केवल उनकी शैक्षणिक प्रगति बाधित होती है, बल्कि वे अपनी भाषा और सांस्कृतिक जड़ों से भी कटते जा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देने की स्पष्ट अनुशंसा की गई है।

हाल में प्रकाशित समाचारों के अनुसार झारखंड सरकार द्वारा कुछ जनजातीय भाषाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की गई है, जिनका विवरण निम्नवत् है:
• संताली – 83 शिक्षक
• मुंडारी – 16 शिक्षक
• हो – 26 शिक्षक
• कुड़ुख – 24 शिक्षक
• खड़िया – 0 शिक्षक
यह अत्यंत खेदजनक है कि खड़िया जैसी प्रमुख जनजातीय भाषा के लिए एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। यह न केवल भाषा संरक्षण के प्रयासों को बाधित करता है, बल्कि खड़िया भाषी विद्यार्थियों के शैक्षिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

अतः, आदिवासी छात्र संघ, केन्द्रीय समिति, झारखंड, निम्नलिखित माँगें करता है:
1. खड़िया मातृभाषा के लिए 10+2 विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु तत्काल पद सृजित किए जाएँ।
2. पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्रों के सभी 10+2 विद्यालयों में खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी, संताली, हो आदि भाषाओं के लिए न्यूनतम 100-100 शिक्षकों के पद सृजित किए जाएँ।
3. सभी विद्यालयों में छात्रों के जाति प्रमाणपत्र के आधार पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
4. राज्य की मान्यता प्राप्त जनजातीय भाषाओं के लिए पाठ्यक्रम निर्माण, पुस्तक प्रकाशन एवं शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए।
5. विद्यालयों में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण व प्रचार-प्रसार हेतु राज्यस्तरीय जागरूकता अभियान चलाया जाए।
6. सभी विद्यालयों में नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति की जाए।
7. प्रत्येक सरकारी विद्यालय में कंप्यूटर लैब एवं कंप्यूटर शिक्षकों के पद सृजित किए जाएँ।
8. विषयानुसार शिक्षकों की कमी को शीघ्र दूर किया जाए।
9. खेल शिक्षकों के पद प्रत्येक विद्यालय में सृजित किए जाएँ।

यह पहल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350(1) की भावना के अनुरूप होगी, जो मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करता है। यह निर्णय झारखंड की भाषाई विविधता, आदिवासी अस्मिता और समावेशी शिक्षा को सशक्त करेगा।माननीय शिक्षा मंत्री, रामदास सोरेन ने कहा सादिवासी छात्र संघ की माँग जायज़ है इस पर तुरंत विचार किया जाएगा ।