झारखंड हाईकोर्ट के सम्मुख, सरायकेला के खरकई डैम प्रोजेक्ट पर सरकारी निर्णय के सम्बन्ध में जनता में उत्पन्न असंतोष की जगह पर नए सवाल और संदेहों का दौर आया है। हाईकोर्ट के आदेश के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि इस प्रोजेक्ट पर 6100 करोड़ रुपये के खर्च के बावजूद भी अभी तक यह पूरा नहीं किया गया है।

जनता के माध्यम से सरकार से सवाल उठ रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट को बंद क्यों किया गया और क्या कारण है जो इसे पूरा नहीं किया जा रहा है
आज की कार्यवाही में मान्नीय उच्च न्यायालय की दोहरी बेंच में जस्टिस श्री सुजित नारायण प्रसाद जी ने राज्य के सरकार के वकील श्री अशोक यादव के माध्यम से झारखंड सरकार को चेतावनी दी कि _”अगर आप 6100 करोड़ रुपये से ज्यादा की कीमत का जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग करके परियोजना को बंद करने का इरादा रखते हैं, तो मैं इस जनहित याचिका में भारत सरकार को इसके एक पक्ष के रूप में शामिल कराऊंगा और राज्य के अधिकारियों पर जनता के पैसे का दुरुपयोग और इस परियोजना में धन की बर्बादी के लिए जांच करने के लिए शिकायत दर्ज कराऊंगा।

जल संसाधन विभाग द्वारा दाखिल किए गए शपथ पत्र में स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कारण प्रोजेक्ट में विलम्ब हुआ है, जिसे हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी के साथ स्वीकारा है। हाई कोर्ट ने कहा कि वह सरकार द्वारा उत्पन्न यह जनता का असंतोष को समझती है और उसे हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम जनता के हित में काम करते रहेंगे और उनके विश्वास को बनाए रखेंगे।
हाईकोर्ट के मामले में जो संकेत मिले हैं, उनका उचित जाँच और निष्पक्ष मामले का समाधान सुनिश्चित करने राज्य सरकार को एफिडेविट के द्वारा जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के अगले सुनवाई का निर्धारण 14 मई को किया गया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा आशा की गई है कि वह इसका पूरी तरह से सहयोग करें और कोर्ट के निर्देशों का पूरा अनुपालन करें।
